विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार दिए जाने के संबंध में प्रतिक्रिया दी. मंत्रालय ने कहा कि यह प्रश्न का उत्तर व्हाइट हाउस से लेना बेहतर होगा. एक प्रेस वार्ता के दौरान, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल से ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार दिलाने के लिए व्हाइट हाउस के प्रयास के बारे में पूछा गया, जिसमें दावा किया गया कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान सहित दुनिया भर में कई संघर्षों को समाप्त कर दिया.
रणधीर जायसवाल ने जवाब में कहा, "इस सवाल को व्हाइट हाउस ले जाना बेहतर होगा." इससे पहले, व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने अमेरिकी राष्ट्रपति के लिए नोबेल शांति पुरस्कार की वकालत की और दावा किया कि उन्होंने "थाईलैंड और कंबोडिया, इज़राइल और ईरान, रवांडा और कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य, भारत और पाकिस्तान, सर्बिया और कोसोवो, मिस्र और इथियोपिया के बीच संघर्षों को समाप्त किया."
डोनाल्ड ट्रंप ने कई मौकों पर दावा किया
व्हाइट हाउस अधिकारी ने तर्क दिया कि राष्ट्रपति रहते हुए अपने छह महीनों के दौरान ट्रंप ने औसतन हर महीने एक शांति समझौता करवाया. उन्होंने कहा, "अब समय आ गया है कि राष्ट्रपति ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार दिया जाए." नई दिल्ली ने कई बार स्पष्ट किया है कि भारत और पाकिस्तान के बीच शत्रुता समाप्त करने का समझौता द्विपक्षीय रूप से हुआ था. मगर डोनाल्ड ट्रंप ने कई मौकों पर दावा किया है कि उन्होंने युद्धविराम की मध्यस्थता की थी. यहां तक कि इसे व्यापार से भी जोड़ा है. हालांकि नई दिल्ली ने हमेशा उनके इस दावे को खारिज किया है, लेकिन इस्लामाबाद ने इस समझौते की मध्यस्थता के लिए ट्रंप का आभार व्यक्त किया है.
2026 के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित किया
जून में पाकिस्तान ने भारत-पाक संघर्ष के दौरान ट्रंप के "कूटनीतिक हस्तक्षेप और निर्णायक नेतृत्व" का हवाला देते हुए, उन्हें 2026 के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित किया था. "पाकिस्तान सरकार राष्ट्रपति डोनाल्ड जे.ट्रंप के नाम की सिफारिश 2026 के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए करती है. पाकिस्तान सरकार ने हाल ही में भारत-पाकिस्तान संकट के दौरान उनके निर्णायक कूटनीतिक हस्तक्षेप और निर्णायक नेतृत्व के सम्मान में, राष्ट्रपति डोनाल्ड जे.ट्रंप के नाम की औपचारिक रूप से 2026 के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए सिफारिश करने का फैसला किया है." हालांकि, नोबेल शांति पुरस्कार विजेताओं का चयन करने वाली नॉर्वेजियन नोबेल समिति ने ट्रंप की उम्मीदवारी पर कभी भी सार्वजनिक रूप से कोई टिप्पणी नहीं की है.