साउथ कश्मीर के पहलगाम स्थित बैसरन में मंगलवार को हुए आतंकी हमले में 26 निर्दोष पर्यटकों की मौत के बाद एक बार फिर उस नाम पर चर्चा छिड़ गई है, जिसे भारत सरकार पहले ही आतंकवादी संगठन घोषित कर चुकी है, 'द रेजिस्टेंस फ्रंट' (TRF).
TRF है लश्कर-ए-तैयबा का नकाबपोश संगठन
सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार, TRF दरअसल पाकिस्तान आधारित प्रतिबंधित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का ही नया चेहरा है. इस संगठन को 2019 में कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटने के बाद अस्तित्व में लाया गया था, ताकि आतंकवाद को धार्मिक रंग से अलग दिखाकर उसे स्थानीय ‘प्रतिरोध आंदोलन’ का रूप दिया जा सके. TRF ने पहली बार 2020 में हमलों की जिम्मेदारी लेना शुरू की थी, जबकि हमलों को अंजाम पुराने संगठनों जैसे लश्कर, जैश-ए-मोहम्मद और हिज़बुल मुजाहिदीन द्वारा दिया जा रहा था.
भारत सरकार ने TRF को आतंकवादी संगठन घोषित किया. जनवरी 2023 में गृह मंत्रालय (MHA) ने TRF को “गैर-कानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA)” के तहत आतंकवादी संगठन घोषित कर दिया था. मंत्रालय की ओर से जारी अधिसूचना में TRF पर निम्नलिखित आरोप लगाए गए
- पाकिस्तान से हथियार और नशीले पदार्थों की तस्करी
- युवाओं की ऑनलाइन भर्ती,
- सोशल मीडिया के ज़रिए मनोवैज्ञानिक ऑपरेशन,
- आतंकी गतिविधियों का प्रचार और योजनाएं बनाना,
- सुरक्षाकर्मियों और निर्दोष नागरिकों की हत्या की साजिशें.
‘प्रतिरोध’ शब्द के पीछे की साजिश
बता दें कि पाकिस्तान ने FATF (फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स) जैसी अंतरराष्ट्रीय निगरानी संस्थाओं से बचने के लिए लश्कर और जैश जैसे धार्मिक नामों को पीछे छोड़ ‘TRF’ जैसे नामों का इस्तेमाल किया, ताकि आतंकवाद को वैश्विक स्तर पर वैध ‘प्रतिरोध आंदोलन’ की शक्ल में पेश किया जा सके.
ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों मोड में करता है काम
TRF की शुरुआत एक ऑनलाइन संगठन के रूप में हुई थी, लेकिन जल्द ही यह कश्मीर में ग्राउंड पर एक्टिव हो गया. यह संगठन लश्कर, तहरीक-ए-मिल्लत इस्लामिया, और ग़ज़नवी हिंद जैसे संगठनों का मिला-जुला रूप बन गया है. सोपोर और कुपवाड़ा जैसे इलाकों में TRF के ओवरग्राउंड वर्कर्स (OGWs) की गिरफ्तारी से इसका नेटवर्क सामने आया.
मीडिया पर धमकी और डर का माहौल
TRF ने कश्मीर के स्थानीय पत्रकारों और मीडिया संस्थानों को भी खुलेआम धमकियां दी थीं, जिसके बाद कई पत्रकारों को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा.
UAPA के तहत TRF पर कार्रवाई
मार्च 2023 में, तत्कालीन गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने राज्यसभा में बताया था कि TRF समेत चार संगठनों को उस वर्ष UAPA की पहली अनुसूची में आतंकवादी संगठनों के रूप में जोड़ा गया. उन्होंने कहा, “TRF लश्कर-ए-तैयबा का नकली संगठन है, जो सुरक्षा बलों और निर्दोष नागरिकों की हत्या, हथियारों की तस्करी और आतंकियों की घुसपैठ जैसे कृत्यों में शामिल रहा है.”
TRF कोई स्थानीय आंदोलन नहीं, पाकिस्तान की साज़िश है
पहलगाम हमले के बाद TRF द्वारा जिम्मेदारी लेना इस बात का प्रमाण है कि यह संगठन सक्रिय है और पाकिस्तान की सरपरस्ती में भारत की शांति और संप्रभुता को नुकसान पहुंचाने की साजिशें कर रहा है. भारत सरकार ने TRF पर कार्रवाई शुरू कर दी है और इस तरह के संगठनों के खिलाफ सख्त रुख अपनाया गया है.