संसद के मानसून सत्र के पहले ही दिन उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के चेयरमैन जगदीप धनखड़ के अचानक दिए गए इस्तीफे ने सियासी हलचल बढ़ा दी है. लेकिन जिस दिन धनखड़ ने इस्तीफा दिया था उस दिन के घटनाक्रम ने यह साफ कर दिया कि राजनीतिक माहौल में कुछ बड़ा होने वाला है. विपक्ष ने इसे “दबाव का नतीजा” बताते हुए सरकार पर सवाल खड़े किए हैं. आइए जानते हैं, धनखड़ के इस्तीफे तक की पूरी टाइमलाइन
सुबह 11:00 बजे – संसद की शुरुआत
मानसून सत्र की कार्यवाही शुरू होती है. राज्यसभा चेयरमैन जगदीप धनखड़ सदन में पहुंचकर नए सदस्यों का स्वागत करते हैं और दिवंगत पूर्व सांसदों को श्रद्धांजलि देते हैं. प्रश्नकाल के दौरान विपक्ष “ऑपरेशन सिंदूर” और बिहार की मतदाता सूची को लेकर जोरदार नारेबाजी करता है. बढ़ते हंगामे के बीच धनखड़ सदन से बाहर चले जाते हैं.
दोपहर 1:00 बजे – BAC बैठक
राज्यसभा की बिजनेस एडवाइजरी कमेटी (BAC) की बैठक होती है. सरकार की ओर से जेपी नड्डा और किरेन रिजिजू शामिल होते हैं. विपक्ष ऑपरेशन सिंदूर पर प्रधानमंत्री की मौजूदगी में चर्चा की मांग करता है. कोई सहमति न बनने के कारण बैठक अनिर्णीत समाप्त होती है.
शाम 4:00 बजे – महाभियोग प्रस्ताव की सूचना
राज्यसभा की कार्यवाही दोबारा शुरू होती है. जगदीप धनखड़ चेयर पर आते हैं और बताते हैं कि उन्हें जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव प्राप्त हुआ है. वे घोषणा करते हैं कि इस पर अगला निर्णय मंगलवार को लिया जाएगा.
शाम 4:30 बजे – BAC की दूसरी बैठक
BAC की दूसरी बैठक बुलाई जाती है, लेकिन इस बार बीजेपी की ओर से जेपी नड्डा और रिजिजू अनुपस्थित रहते हैं. केंद्रीय मंत्री एल. मुरुगन कहते हैं कि दोनों नेता व्यस्त हैं. बैठक स्थगित कर दी जाती है.
इसी बीच – रक्षा मंत्री के कक्ष में मीटिंग
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के कक्ष में केंद्र सरकार के शीर्ष मंत्रियों की अहम बैठक होती है. बीजेपी और एनडीए सांसदों से महत्वपूर्ण दस्तावेजों पर हस्ताक्षर कराए जाते हैं. माहौल में अचानक राजनीतिक सरगर्मी तेज हो जाती है.
शाम 7:00 बजे – अमित शाह की मुलाकात
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला से मुलाकात करते हैं.
रात 9:00 बजे – सोशल मीडिया पर इस्तीफा
जगदीप धनखड़ अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर इस्तीफे की घोषणा करते हैं. उन्होंने स्वास्थ्य खराब होने को इस्तीफे का कारण बताया.
विपक्ष का आरोप
विपक्ष का कहना है कि यह इस्तीफा सिर्फ स्वास्थ्य कारणों से नहीं, बल्कि “सरकार के दबाव” का परिणाम है. उनका सवाल है कि “अगर स्वास्थ्य कारण ही थे, तो सत्र शुरू होने से पहले इस्तीफा क्यों नहीं दिया गया?” विपक्ष दिनभर के घटनाक्रम को असली वजह मान रहा है.