अब होली-दिवाली की दो-दो तिथियों को लेकर नहीं होगा विवाद, BHU से शुरू होगी एक देश एक पंचाग की व्यवस्था

काशी में ही कई जगह पोजिशनल एस्ट्रोलॉजी के आधार पर पंचांग बनते हैं. इससे नक्षत्र और तिथियों के मान में फर्क आ रहा है. ये पंचांग हिंदू धर्म के त्योहारों के लिए बहुत उपयुक्त नहीं हैं.

काशी में ही कई जगह पोजिशनल एस्ट्रोलॉजी के आधार पर पंचांग बनते हैं. इससे नक्षत्र और तिथियों के मान में फर्क आ रहा है. ये पंचांग हिंदू धर्म के त्योहारों के लिए बहुत उपयुक्त नहीं हैं.

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Mohit Sharma
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BHU

BHU Photograph: (Social Media)

भारत में एक देश- एक पंचांग की व्यवस्था लागू हो जाएगी. जिससे होली और दिवाली की दो-दो तिथियों को लेकर विवाद नहीं होगा. बीएचयू की पहल पर ये व्यवस्था लागू की जाएगी. जिसके लिए बीएचयू का धर्म एवं संस्कृत विज्ञान विभाग सूर्य सिद्धांत पर आधारित सॉफ्टवेयर तैयार कर रहा है.

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बीएचयू की पहल पर भारत में एक देश-एक पंचांग की व्यवस्था अगले दो वर्ष में लागू कर दी जाएगी. अब होली और दिवाली की दो-दो तिथियों को लेकर विवाद नहीं होगा. एकरूपता के लिए विद्वानों की सहमति को 87 फीसदी से आगे बढ़ाकर 100 फीसदी तक किया जाएगा. इसके लिए देशभर में हर ज्योतिषाचार्यों और पंचांगकारों को नए सिरे से निर्बीज पंचांग का निर्माण करना होगा. बीएचयू के ज्योतिष विभाग के पूर्वाध्यक्ष प्रो विनय पांडेय इस पर काम कर रहे है...पंचांग की एकरूपता की व्यवस्था को लागू करने की रणनीति तैयार की है.इसमें सभी की एक सहमति होने के बाद निर्वीज पंचांग के अनुसार तिथि, मुहूर्त और पर्व आदि निर्धारित होंगे. प्रो. विनय कुमार पांडेय के अनुसार, 83 फीसदी पंचांगकारों और ज्योतिषाचार्यों ने सूर्य सिद्धांत आधारित पंचांग की व्यवस्था लागू करने पर सहमति दे दी है. इसे बढ़ाकर सौ फीसदी करना है ..

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काशी में ही कई जगह पोजिशनल एस्ट्रोलॉजी के आधार पर पंचांग बनते हैं. इससे नक्षत्र और तिथियों के मान में फर्क आ रहा है. ये पंचांग हिंदू धर्म के त्योहारों के लिए बहुत उपयुक्त नहीं हैं. विवाद न हो ऐसे में इन्हें बदलना होगा.बीएचयू में पंचांग बनाने के लिए सॉफ्टवेयर की शुरुआत कर दी गई है....ज्योतिष विभाग में गणित के मानों की तीव्र गणना के लिए सॉफ्टवेयर बनाया गया है....इस सॉफ्टवेयर पर ऑनलाइन कहीं से भी काम किया जा सकता है. गूगल पर ‘सूर्य सिद्धांत डॉट इन’ पर क्लिक कर कोई भी पंचाग बना सकता है.डॉ. सुभाष पांडेय ने कहा कि किसी भी वर्ष का पंचांग बनाना हो, तिथियों की शुद्धि और ग्रहों की चाल, गति और स्थितियों का पता लगाने के लिए जो भी गणित सूत्रों का इस्तेमाल किया जाता है, उन सबका आकलन पांच मिनट में लैपटाॅप में किया जा सकता है. सृष्टि निर्माण से लेकर आगामी कई वर्षों की भविष्यवाणी में इस्तेमाल होने वाले गणितीय मान को आसानी से ज्ञात किया जा सकता है.

काशी विद्वत परिषद का भी कहना है की अब एक देश एक पंचाग होगा जिस तरफ से नेपाल में है सरकार से भी आग्रह है की एक ही पंचाग को मान्यता दी जाए और इसके इतर कुछ नहीं होना चाहिए और इस प्रयास के बीएचयू सबसे आगे है.

BHU
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