तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने दिल्ली में साफ किया कि उनकी सरकार पिछड़े वर्गों (BCs) को 42 प्रतिशत आरक्षण के साथ स्थानीय निकाय चुनाव कराने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है. मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य विधानसभा द्वारा पारित दो महत्वपूर्ण बिलों को केंद्र की मंजूरी दिलाने के लिए वे दिल्ली आए हैं.
केंद्र पर दबाव बनाने की तैयारी
मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने बताया कि इन बिलों की मंजूरी के लिए वे लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे से मुलाकात करेंगे.इसके अलावा इंडिया गठबंधन के सहयोगी दलों को भी तेलंगाना सरकार के सामाजिक, आर्थिक, शिक्षा, रोजगार और जातिगत सर्वे की जानकारी देकर केंद्र पर दबाव बनाने की रणनीति अपनाई जाएगी.
42% BC आरक्षण का मुद्दा
सीएम रेवंत रेड्डी ने कहा कि तेलंगाना विधानसभा ने 42 प्रतिशत BC आरक्षण के प्रस्ताव को सर्वसम्मति से समर्थन दिया है. 4 फरवरी 2024 से 4 फरवरी 2025 के बीच राज्यभर में एक व्यापक सामाजिक, आर्थिक और जातिगत सर्वे पूरा किया गया, जिसमें 3.55 करोड़ लोगों की जानकारी इकट्ठी की गई. इसी कारण राज्य सरकार 4 फरवरी को ‘सामाजिक न्याय दिवस’ (Social Justice Day) के रूप में मना रही है.सर्वे के आंकड़ों के अनुसार, राज्य में 56.4% BC, 17.45% SC, 10.08% ST और 10.09% ऊंची जातियां हैं, जबकि 3.09% लोगों ने अपनी जाति नहीं बताई.
तेलंगाना मॉडल देश के लिए मिसाल
मुख्यमंत्री ने कहा कि तेलंगाना की जातिगत गणना पूरे देश के लिए एक आदर्श मॉडल है.
50% आरक्षण सीमा अब अप्रासंगिक
रेवंत रेड्डी ने कहा कि 2018 में पंचायत राज कानून में 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण पर रोक लगाई गई थी, लेकिन अब EWS को 10% आरक्षण मिलने के बाद यह सीमा अप्रासंगिक हो चुकी है. “हम 42% BC आरक्षण किसी व्यक्ति के लिए नहीं, बल्कि पूरे समुदाय के लिए मांग रहे हैं,” उन्होंने कहा.
हाईकोर्ट का आदेश
सीएम रेवंत रेड्डी याद दिलाया कि राज्य हाईकोर्ट ने 90 दिनों के भीतर स्थानीय निकाय चुनाव कराने और 30 दिनों के भीतर आरक्षण तय करने का आदेश दिया है. इसी संदर्भ में केंद्र की मंजूरी बेहद जरूरी है.