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Air Pollution: आमतौर पर यही सुनाई पड़ता है कि देश की राजधानी यानी दिल्ली में वायु प्रदूषण बहुत ज्यादा है. दिल्ली में सांस लेना मतलब एक सांस में 10 का धुआं शहरी में ले लेना. लेकिन ऐसा नहीं है क्योंकि हाल में आई एक रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. इस खुलासे के मुताबिक देश में सबसे ज्यादा जहरीली हवा दिल्ली की नहीं बल्कि हरियाणा राज्य के शहर की है. जी हां पढ़कर शायद आपको यकीन न हो लेकिन ये सच्चाई है.
दिल्ली में भले ही हवा की गुणवत्ता लगातार गंभीर स्तर पर पहुंच रही हो, लेकिन चिंताजनक बात यह है कि इसके साथ-साथ पड़ोसी राज्य हरियाणा की हवा भी बेहद जहरीली हो गई है. आइए जानते हैं कि किस रिपोर्ट में ये खुलासा हुआ है और हरियाणा के किस शहर की हवा सबसे ज्यादा खराब है.
CREA की रिपोर्ट का बड़ा खुलासा
हाल में सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर (CREA) की एक सैटेलाइट-आधारित जांच में ये खुलासा हुआ है कि हरियाणा इस समय भारत के सबसे अधिक प्रदूषण प्रभावित राज्यों में शुमार है. नवंबर 2025 के पहले सप्ताह में किए गए इस विश्लेषण में पाया गया कि राज्य के कई औद्योगिक और शहरी क्षेत्र खतरनाक स्तर तक प्रदूषित हैं. कई इलाकों में वायु गुणवत्ता लगातार ‘गंभीर’ श्रेणी में बनी रही, जिससे लोगों के स्वास्थ्य पर गहरा असर पड़ने की आशंका है.
हरियाणा के कई शहर प्रदूषण की सूची में शीर्ष पर
दरअसल CREA की रिपोर्ट की मानें तो हरियाणा के कई प्रमुख शहर जैसे धारूहेड़ा, रोहतक, बल्लभगढ़ और गुरुग्राम लगातार देश के सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में शामिल रहे. खासकर धारूहेड़ा ने अक्टूबर 2025 में पूरे देश में सबसे अधिक प्रदूषण दर्ज किया. यहां कई दिनों तक PM2.5 और अन्य प्रदूषणकारी तत्वों का स्तर ‘गंभीर’ श्रेणी से नीचे नहीं आया. इसके बाद रोहतक, बल्लभगढ़ और गुरुग्राम भी उच्च प्रदूषण स्तरों के कारण चर्चा में रहे.
औद्योगिक इकाइयों की अधिकता, यातायात दबाव, निर्माण गतिविधियां और NCR से आने वाला ट्रांस-बाउंड्री प्रदूषण इस खराब स्थिति के प्रमुख कारण माने जा रहे हैं.
विश्व और राष्ट्रीय मानकों से कई गुना अधिक प्रदूषण
हरियाणा ही नहीं, बल्कि पूरे NCR बेल्ट में प्रदूषण की स्थिति राष्ट्रीय और वैश्विक मानकों से कहीं आगे निकल चुकी है.
रिपोर्ट के अनुसार, हरियाणा के कई शहरों में PM2.5 का स्तर
- राष्ट्रीय मानक 40 माइक्रोग्राम/घन मीटर,
- WHO की सीमा 5 माइक्रोग्राम/घन मीटर, से कई गुना अधिक पाया गया. यह अंतर दर्शाता है कि हवा का प्रदूषण सिर्फ मौसमी समस्या नहीं, बल्कि एक लगातार बिगड़ता हुआ पर्यावरण संकट है.
सेहत पर सीधा असर
विशेषज्ञों के अनुसार, PM2.5 के इतने ऊंचे स्तर से
- सांस की बीमारियां,
- फेफड़ों के संक्रमण,
- हृदय संबंधी समस्याएं
जैसे जोखिम तेजी से बढ़ रहे हैं. छोटे बच्चों, बुजुर्गों और दमा के रोगियों के लिए यह हालात और भी खतरनाक हैं.
नियंत्रण के लिए जरूरी है त्वरित कार्रवाई
रिपोर्ट साफ संकेत देती है कि हरियाणा में प्रदूषण नियंत्रण के लिए सख्त और तात्कालिक कदम उठाए जाने की आवश्यकता है. औद्योगिक उत्सर्जन नियंत्रण, वाहनों के लिए कड़े मानक और निर्माण गतिविधियों पर निगरानी जैसे उपायों को और प्रभावी बनाने की जरूरत है.
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