अफ्रीका के घाना में एक भारतीय व्यक्ति के अचानक प्रवेश ने देश को एक प्रतिष्ठित इस्पात उत्पादक देश में बदल दिया है। शख्स का नाम मुकेश ठाकवानी है और वह गुजरात के रहने वाले हैं।
बी5प्लस लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ठाकवानी ने कहा, जब मैं 1996 में लाइबेरिया से घाना की राजधानी अकरा पहुंचा तो घाना में व्यवसाय शुरू करने की मेरी कोई योजना नहीं थी।
लेकिन 27 साल बाद, उनकी कंपनी प्रति वर्ष 400,000 टन से अधिक का उत्पादन कर रही है और हजारों घानावासियों को रोजगार दे रही है।
अपनी स्थापना के बाद से, बी5प्लस लिमिटेड ने 100 से अधिक राष्ट्रीय पुरस्कार जीते हैं, लेकिन ठाकवानी कहते हैं, मेरे लिए सबसे बड़ा पुरस्कार इस वर्ष स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा दिया गया सम्मान है, जो कोविड महामारी के दौरान 100 से अधिक स्वास्थ्य सुविधाओं को ऑक्सीजन दान करने में कंपनी के योगदान की सराहना करता है।
घाना में अपने प्रवेश की पृष्ठभूमि बताते हुए उन्होंने कहा, मैं 1996 में लाइबेरिया से घाना पहुंचा और मुझे घाना और वहां के लोगों से प्यार हो गया।
इस विशेष यात्रा पर, ठाकवानी ने कहा कि वह अपने चाचा से मिले जिनका घाना में व्यवसाय था और किसी कारण से, उन्होंने कुछ समय बिताने और फिर उनके लिए काम करने का निर्णय लिया। बाद में, उन्होंने यहीं रहने का फैसला किया और फिर स्टील उत्पादन के लिए व्यवसाय बढ़ाने का निर्णय लिया।
2002 में उन्होंने अपनी खुद की कंपनी स्थापित करने का फैसला किया। उन्होंने कहा, हमने इसी मैदान से शुरुआत की जहां आज बी5प्लस है। यह सब जंगल था। जब मैंने एक दोस्त को फोन कर बताया कि मैं एक स्टील फैक्ट्री लगा रहा हूं, तो उसने मुझसे पूछा कि झाड़ियों से स्टील खरीदने कौन आएगा। कोई नहीं आता था शाम 5.00 बजे के बाद यहां। मुझे याद है कि मुझे एक दोस्त और अपने ड्राइवर के साथ झाड़ियां काटने के लिए यहां आना पड़ा।
कंपनी ने केवल 200 टन कीलों का उत्पादन शुरू किया, वह बाजार पर जीत हासिल करने में सफल रही क्योंकि उसके प्रोडक्ट के दाम कम थे, इसलिए वो लोकप्रिय हो गए। उन्होंने गैल्वेनाइज्ड प्रोडक्ट और बाद में लोहे की छड़ें बनाने का फैसला किया।
ठकवानी ने कहा, आज, हमें यह कहते हुए बेहद गर्व हो रहा है कि बी5प्लस आज प्रति वर्ष 400,000 टन स्टील का उत्पादन कर रहा है। इसके अलावा हम घाना में अन्य प्रकार के स्टील उत्पादन में भी आगे बढ़े हैं, जिसे हम अन्य पश्चिमी अफ्रीकी देशों को निर्यात करते हैं।
वो केवल स्टील का ही उत्पादन नहीं कर रहे हैं। उन्होंने अकरा में टेमा के पास एक स्कूल, दिल्ली (प्राइवेट) स्कूल (डीपीएस) भी शुरू किया है। स्कूल अपनी शैक्षणिक और गैर शैक्षणिक गतिविधियों जैसे कला, नृत्य, नाटक, फुटबॉल, वॉलीबॉल, गायन, तैराकी के लिए प्रसिद्ध है जो एक छत के नीचे सभी तरह की शिक्षा प्रदान करता है।
ठकवानी ने कहा कि डीपीएस इसलिए शुरू किया गया क्योंकि शिक्षा उनके परिवार को बहुत प्रिय है। हम हमेशा मानते हैं कि शिक्षा देना महत्वपूर्ण है। यदि एक व्यक्ति को शिक्षा दी जाती है, तो वह अपने परिवार के 10 लोगों का भरण-पोषण करने में मदद कर सकता है। हमने महसूस किया कि टेमा में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की बहुत आवश्यकता है, और हम भविष्य के नेता भी बनाना चाहते थे।
स्कूल ने 2010 में 23 छात्रों के साथ अपने दरवाजे खोले। उन्होंने कहा कि हालांकि स्टील बनाना उनका जुनून है, लेकिन उनकी एक टॉप क्लास स्कूल बनाने की भी इच्छा थी, जहां फीस सभी के लिए सस्ती हो, लेकिन शिक्षण और सीखने का स्तर ऊंचा हो। स्कूल को विविध पृष्ठभूमि के लोगों के लिए उपलब्ध कराने की योजना बनाई गई थी।
ठाकवानी ने कहा, उपलब्ध सुविधाओं की उच्च गुणवत्ता के कारण डीपीएस घाना पश्चिम अफ्रीका के समान स्कूलों से अलग है, साथ ही स्कूल ने अपने दरवाजे सभी के लिए खोल दिए हैं।
ठकवानी ने कहा, मुझे यह कहते हुए गर्व हो रहा है कि 2010 के बाद से, हमने अपने छात्रों द्वारा जीते गए अच्छे अकादमिक रिकॉर्ड और पुरस्कारों से दिखाया है कि हमने बहुत अच्छा प्रभाव डाला है।
अपनी उपलब्धियों के बावजूद, ठाकवानी एक परोपकारी व्यक्ति भी हैं, और कई गैर सरकारी संगठनों का समर्थन करते हैं जो घाना में शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए काम कर रहे हैं। उनके पास प्रतिष्ठित हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से सर्टिफिकेट है जहां उन्होंने मैनेजमेंट कोर्स सफलतापूर्वक उत्तीर्ण किया है।
2016 से वो यंग प्रेसिडेंट ऑर्गनाइजेशन (वाईपीओ) के सदस्य हैं। इसके अलावा, वह एसोसिएशन ऑफ घाना इंडस्ट्रीज (एजीआई) के कार्यकारी बोर्ड के सदस्य भी हैं।
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Source : IANS