रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को चेताया कि पाकिस्तान अपने नागरिकों के कर राजस्व का 14 करोड़ रुपये जैश-ए-मोहम्मद के सरगना आतंकी मसूद अजहर को देने वाला है. गुजरात के भुज वायुसेना स्टेशन पर वायुसैनिकों को संबोधित करते हुए रक्षा मंत्री ने पाकिस्तान में आतंकवादी ढांचे के पुनर्निर्माण के नए प्रयासों पर चिंता व्यक्त की है. उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से इस्लामाबाद को दी जाने वाली एक अरब डॉलर की मदद पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया है. राजनाथ सिंह ने कहा, "पाकिस्तान अपने नागरिकों से एकत्र किए गए कर का उपयोग जैश-ए-मोहम्मद आतंकवादी संगठन के प्रमुख मसूद अजहर को करीब 14 करोड़ रुपये देने में करेगा.
आतंकी ढांचे को वित्तपोषित में किया जाएगा: रक्षा मंत्री
आपको बता दें कि पाकिस्तानी सरकार ने मुरीदके और बहावलपुर में मौजूद लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी ढांचे के पुनर्निर्माण को लेकर वित्तीय सहायता का ऐलान किया है. उन्होंने कहा कि आईएमएफ की ओर से पाकिस्तान को दी जाने वाली 1 बिलियन डॉलर की मदद का बड़ा भाग आतंकी ढांचे को वित्तपोषित में किया जाएगा. इसे अप्रत्यक्ष आतंकी वित्तपोषण कहा और आग्रह किया कि भारत के योगदान का उपयोग ऐसे लक्ष्यों में नहीं किया जाना चाहिए.
भारत ने पाकिस्तान को निगरानी में रखा है
रक्षा मंत्री ने कहा," यह तय है कि आईएमएफ की एक अरब डॉलर की मदद का बड़ा भाग आतंकी ढांचे को वित्तपोषित करने में उपयोग किया जाएगा. क्या इसे आईएमएफ, एक अंतरराष्ट्रीय संगठन की ओर से अप्रत्यक्ष वित्त पोषण नहीं माना जाएगा? उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को कोई भी वित्तीय सहायता आतंकी फंडिंग से कम नहीं है. भारत की ओर से आईएमएफ को दी जाने वाली धनराशि का उपयोग प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से पाकिस्तान या किसी अन्य देश में आतंकी ढांचा तैयार करने में नहीं किया जाना चाहिए." रक्षा मंत्री ने कहा, मौजूदा संघर्ष विराम का मतलब है कि भारत ने पाकिस्तान को निगरानी में रखा है. भविष्य की कार्रवाई उसके रवैये पर निर्भर होगी. उन्होंने कहा,"अगर व्यवहार में सुधार होता है तो ठीक है, लेकिन किसी तरह की कोई गड़बड़ी होती है, तो कड़ी से कड़ी सजा दी जाएगी."