तेलंगाना की कांग्रेस सरकार ओबीसी आरक्षण के दायरे को बढ़ाने वाली है. तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने खुद इसकी जानकारी दी. विधानसभा में उन्होंने ऐलान किया कि उनकी सरकार प्रदेश में ओबीसी आरक्षण सीमा को 23 प्रतिशत से बढ़ाकर 42 प्रतिशत करने जा रही है. अगर ऐसा होता है तो प्रदेश में आरक्षण की सीमा 62 प्रतिशत हो जाएगी, जो सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय किए गए 50 प्रतिशत की आरक्षण सीमा का उल्लंघन होगा.
बता दें, कांग्रेस ने साल 2023 में हुए विधानसभा चुनावों से पहले ही ओबीसी कोटा बढ़ाने का वादा किया था. अब वे अपने वादे को पूरा करने की ओर बढ़ रहे हैं.
क्या बोले तेलंगाना के सीएम
तेलंगाना के सीएम ने विधानसभा में कहा कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने वादा किया था कि अगर कांग्रेस सत्ता में आई तो ओबीसी आरक्षण को बढ़ाकर 42 प्रतिशत किया जाएगा. सत्ता संभालने के तुरंत बाद हमारी सरकार ने जाति जनगणना शुरू की. हमारी सरकार ने राज्यपाल को ओबीसी आरक्षण 37 प्रतिशत तक बढ़ाने के लिए पहले प्रस्ताव भेजा था. अब हम वो प्रस्ताव वापस लेंगे और अब ओबीसी आरक्षण को 42 प्रतिशत तक बढ़ाने का नया प्रस्ताव भेजेंगे.
सीएम ने कहा कि ओबीसी आरक्षण को 42 प्रतिशत तक बढ़ाने के लिए हम आवश्यक कानूनी सहायता भी लेंगे. हमारी सरकार तब तक शांत नहीं बैठेगी, जब तक पिछड़े वर्ग के लोगों के लिए हम 42 प्रतिशत आरक्षण हासिल नहीं कर लेते हैं.
प्रस्ताव पास तो हो जाएगा, लेकिन नियमों का उल्लंघन
तेलंगाना विधानसभा में कुल 117 सीटें हैं. इसमें से कांग्रेस के पास 64 सीटें हैं. बहुमत के लिहाज से विधानसभा में ओबीसी आरक्षण बिल पास हो जाएगा. आरक्षण की सीमा इससे तेलंगाना में 62 प्रतिशत पहुंच जाएगी. ये फैसला सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित मानक यानी 50 प्रतिशत आरक्षण की सीमा का उल्लंन करेगी. तेलंगाना सरकार के इस फैसले पर शायद तेलंगाना हाईकोर्ट रोक लगा सकती है. जैसे पटना हाईकोर्ट ने बिहार सरकार के फैसले पर लगाया है.
क्या इसमें केंद्र सरकार की कोई भूमिका होगी.
आरक्षण लागू करने के लिए संविधान में संंशोधन और केंद्र सरकार की मंजूरी आवश्यक है. इस वजह से ये विधेयक पास हो पाएगा या नहीं, इसे लेकर संशय बरकरार है. एनडीए सरकार अगर मान लीजिए फैसले का विरोध करती है तो कांग्रेस केंद्र सरकार पर इसे लेकर जरूर हमलावर होगी.