तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन गुरुवार को मयिलादुथुराई में धर्मपुरम अधीनम के तहत एक कला महाविद्यालय के हीरक जयंती समारोह का उद्घाटन करेंगे।
इसे इस धारणा से छुटकारा पाने के कदम के रूप में देखा जा रहा है कि मुख्यमंत्री और उनकी पार्टी, द्रमुक हिंदू मठों और मंदिरों के खिलाफ है।
गौरतलब है कि है कि 2022 में, स्टालिन के नेतृत्व वाली द्रमुक सरकार ने धर्मपुरम अधीनम संत को उनके भक्तों द्वारा पालकी में ले जाने पर प्रतिबंध लगा दिया था, जो एक पुरानी प्रथा रही है।
भाजपा, आरएसएस और कई अन्य हिंदू मठ और आध्यात्मिक संगठन डीएमके के तहत तमिलनाडु सरकार के फैसले के खिलाफ सामने आए और राज्य भर में बड़े पैमाने पर अभियान चलाया कि नास्तिक डीएमके हिंदू मठों और अधीनमों को कुचलने की कोशिश कर रही है।
बाद में, सरकार फैसले से पीछे हट गई और संत को पालकी में ले जाया गया।
लेकिन इस घटना से यह दृढ़ विश्वास पैदा हो गया कि डीएमके पूरी तरह से हिंदू मान्यताओं, रीति-रिवाजों और परंपराओं के खिलाफ है।
मुख्यमंत्री द्वारा अधीनम के तहत कॉलेज के हीरक जयंती समारोह में शामिल होने पर सहमति जताने को हिंदू विरोधी टैग हटाने के कदम के तौर पर देखा जा रहा है।
मयिलादुथुराई के एक हिंदू कार्यकर्ता आर. गोपालकृष्णन ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, “स्टालिन और डीएमके जानते थे कि हिंदू समुदाय इस सरकार और उसके लगातार हिंदू विरोधी कार्यों के खिलाफ है। इससे उबरने के लिए उन्होंने कॉलेज के हीरक जयंती समारोह में शामिल होने का फैसला किया है। यह आंखों में धूल झोंकने के लिए है और केवल मठों और अधीनमों को खुश करने के लिए है। लेकिन स्टालिन और उनकी पार्टी कभी नहीं बदलेगी।
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Source : IANS