/newsnation/media/media_files/thumbnails/202508223488046-981576.jpg)
Bihar SIR: सुप्रीम कोर्ट सोमवार 8 सितंबर को बिहार में मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision) को लेकर चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई करेगा. यह मामला राजनीतिक दलों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की उस चिंता से जुड़ा है जिसमें उन्होंने चुनाव आयोग की 24 जून की अधिसूचना को चुनौती दी है. इस प्रक्रिया में मतदाता सूचियों का पुनरीक्षण किया गया, जिससे हजारों नाम हटाए जाने की आशंका जताई जा रही है. इस पूरे मामले पर देश की सर्वोच्च अदालत में केस चल रहा है. इस पर दो जजों की बेंच सोमवार को सुनवाई करेगी.
क्या है चुनाव आयोग का कहना?
चुनाव आयोग ने अपने पक्ष में कहा है कि 7.24 करोड़ मतदाताओं में से 99.5 फीसदी लोगों ने अपने दस्तावेज समय पर जमा किए हैं, जो यह दर्शाता है कि प्रक्रिया पारदर्शी और समावेशी रही है. आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि एक सितंबर के बाद भी दावे और आपत्तियां स्वीकार की जाएंगी, लेकिन उन पर विचार अंतिम सूची के प्रकाशन के बाद किया जाएगा.
सुप्रीम कोर्ट का निर्देश और टिप्पणी
वहीं 22 अगस्त को हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट ने चुनाव आयोग को निर्देश दिया था कि वह दावे व आपत्तियां दर्ज करने के लिए ऑनलाइन मोड भी उपलब्ध कराए, ताकि अधिकतम लोग प्रक्रिया में भाग ले सकें. कोर्ट ने यह भी माना कि इस मुद्दे में “विश्वास की कमी” एक बड़ी समस्या है और इसके समाधान के लिए राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को निर्देश दिया कि वह पैरा-लीगल वोलंटियर्स की मदद से लोगों को सहायता उपलब्ध कराए.
राजनीतिक दलों की चिंता
राष्ट्रीय जनता दल (राजद), AIMIM सहित कई राजनीतिक दलों ने आरोप लगाया है कि बड़ी संख्या में पात्र मतदाताओं को सूची से बाहर कर दिया गया है, जिससे लोकतांत्रिक प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है. दलों की मांग है कि दावे और आपत्तियों की समयसीमा बढ़ाई जाए ताकि किसी भी योग्य मतदाता का नाम सूची से न छूटे.
अगला कदम और अंतिम तिथि
सुप्रीम कोर्ट अब याचिकाकर्ताओं और चुनाव आयोग के बयानों पर विचार करेगा. अंतिम मतदाता सूची 30 सितंबर को प्रकाशित की जाएगी. इससे पहले अदालत तय करेगी कि दावों की प्रक्रिया फिर से खोली जाए या नहीं. ऐसे में यह मामला न केवल मतदाता अधिकारों से जुड़ा है, बल्कि लोकतंत्र की जड़ों को मजबूत करने का एक अवसर भी है. सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने वाले चुनावों की पारदर्शिता और विश्वसनीयता को दिशा देगा.
यह भी पढ़ें - एसआईआर प्रक्रिया के डर से टीएमसी के नेता कर रहे अनर्गल बयानबाजी: अशोक रॉय