सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को विपक्ष के नेता राहुल गांधी के खिलाफ वीडी सावरकर पर की गई टिप्पणियों के संबंध में लखनऊ की अदालत में लंबित आपराधिक मानहानि की कार्यवाही पर रोक लगा दी है. सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में शुक्रवार को विपक्ष के नेता राहुल गांधी के खिलाफ लखनऊ की अदालत में चल रही आपराधिक मानहानि की कार्यवाही पर रोक लगा दी. यह कार्यवाही राहुल गांधी की ओर से स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर पर की गई कथित आपत्तिजनक टिप्पणी के चलते शुरू की गई थी.
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और ऐतिहासिक शख्सियतों के सम्मान के बीच संतुलन बनाए रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है. हालांकि अदालत ने कार्यवाही पर अस्थायी रोक लगाई है, लेकिन इसके साथ ही राहुल गांधी को भविष्य में ऐसी टिप्पणियों से बचने की सख्त चेतावनी भी दी है.
तो की जाएगी कार्रवाई
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि इस तरह की टिप्पणियां दोहराई जाती हैं, तो उनके खिलाफ स्वतः संज्ञान लेते हुए उचित कानूनी कार्रवाई की जा सकती है. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी के वकील, वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी से तीखे सवाल पूछे. अदालत ने यह भी उल्लेख किया कि महात्मा गांधी जैसे महान नेताओं ने अपने पत्रों में 'आपका वफादार सेवक' जैसे शब्दों का प्रयोग किया था.
कोर्ट ने कहा कि राहुल गांधी को इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि उनकी दादी, इंदिरा गांधी ने भी वीर सावरकर की प्रशंसा में पत्र लिखा था. ऐसे में एक सार्वजनिक नेता को स्वतंत्रता सेनानियों के प्रति जिम्मेदाराना रवैया अपनाना चाहिए.
कोर्ट ने क्या कहा
कोर्ट की टिप्पणी इस बात की ओर भी इशारा करती है कि इतिहास को समझे बिना सार्वजनिक मंच से दिए गए बयान किस प्रकार न केवल विवाद खड़ा कर सकते हैं बल्कि लोगों की भावनाओं को भी आहत कर सकते हैं. न्यायालय ने इस मामले को केवल कानून के दायरे तक सीमित नहीं रखा, बल्कि एक व्यापक सामाजिक संदेश भी दिया कि नेताओं को अपनी सार्वजनिक छवि और शब्दों की शक्ति का आकलन करते हुए जिम्मेदारी के साथ व्यवहार करना चाहिए.
क्या है पूरा मामला
इस पूरे मामले की शुरुआत तब हुई जब राहुल गांधी के एक बयान पर लखनऊ की एक अदालत ने उन्हें समन जारी किया. इसके खिलाफ उन्होंने इलाहाबाद उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया, लेकिन वहां से राहत नहीं मिलने पर सुप्रीम कोर्ट की शरण ली. सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका पर विचार करते हुए यह अंतरिम राहत प्रदान की.
यह मामला न केवल कानूनी दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह वर्तमान राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में अभिव्यक्ति की सीमाओं और जिम्मेदारियों पर भी गंभीर विमर्श को जन्म देता है. सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला आने वाले समय में नेताओं के आचरण और बयानबाजी के लिए एक नजीर बन सकता है.
यह भी पढ़ें - पहलगाम आतंकी हमले के विरोध में दिल्ली के बाजार रहे बंद, पाकिस्तान मुर्दाबाद के लगे नारे
सावरकर मुद्दे पर SC की राहुल गांधी चेतावनी, - भविष्य में भी 'स्वतंत्रता सेनानियों' पर टिप्पणियों से बचें
सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी के वकील, अभिषेक मनु सिंघवी से यह भी पूछा "क्या उन्हें ( राहुल गांधी) को पता है कि महात्मा गांधी ने भी 'आपका वफादार सेवक' शब्द का इस्तेमाल किया था.
सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी के वकील, अभिषेक मनु सिंघवी से यह भी पूछा "क्या उन्हें ( राहुल गांधी) को पता है कि महात्मा गांधी ने भी 'आपका वफादार सेवक' शब्द का इस्तेमाल किया था.
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को विपक्ष के नेता राहुल गांधी के खिलाफ वीडी सावरकर पर की गई टिप्पणियों के संबंध में लखनऊ की अदालत में लंबित आपराधिक मानहानि की कार्यवाही पर रोक लगा दी है. सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में शुक्रवार को विपक्ष के नेता राहुल गांधी के खिलाफ लखनऊ की अदालत में चल रही आपराधिक मानहानि की कार्यवाही पर रोक लगा दी. यह कार्यवाही राहुल गांधी की ओर से स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर पर की गई कथित आपत्तिजनक टिप्पणी के चलते शुरू की गई थी.
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और ऐतिहासिक शख्सियतों के सम्मान के बीच संतुलन बनाए रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है. हालांकि अदालत ने कार्यवाही पर अस्थायी रोक लगाई है, लेकिन इसके साथ ही राहुल गांधी को भविष्य में ऐसी टिप्पणियों से बचने की सख्त चेतावनी भी दी है.
तो की जाएगी कार्रवाई
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि इस तरह की टिप्पणियां दोहराई जाती हैं, तो उनके खिलाफ स्वतः संज्ञान लेते हुए उचित कानूनी कार्रवाई की जा सकती है. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी के वकील, वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी से तीखे सवाल पूछे. अदालत ने यह भी उल्लेख किया कि महात्मा गांधी जैसे महान नेताओं ने अपने पत्रों में 'आपका वफादार सेवक' जैसे शब्दों का प्रयोग किया था.
कोर्ट ने कहा कि राहुल गांधी को इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि उनकी दादी, इंदिरा गांधी ने भी वीर सावरकर की प्रशंसा में पत्र लिखा था. ऐसे में एक सार्वजनिक नेता को स्वतंत्रता सेनानियों के प्रति जिम्मेदाराना रवैया अपनाना चाहिए.
कोर्ट ने क्या कहा
कोर्ट की टिप्पणी इस बात की ओर भी इशारा करती है कि इतिहास को समझे बिना सार्वजनिक मंच से दिए गए बयान किस प्रकार न केवल विवाद खड़ा कर सकते हैं बल्कि लोगों की भावनाओं को भी आहत कर सकते हैं. न्यायालय ने इस मामले को केवल कानून के दायरे तक सीमित नहीं रखा, बल्कि एक व्यापक सामाजिक संदेश भी दिया कि नेताओं को अपनी सार्वजनिक छवि और शब्दों की शक्ति का आकलन करते हुए जिम्मेदारी के साथ व्यवहार करना चाहिए.
क्या है पूरा मामला
इस पूरे मामले की शुरुआत तब हुई जब राहुल गांधी के एक बयान पर लखनऊ की एक अदालत ने उन्हें समन जारी किया. इसके खिलाफ उन्होंने इलाहाबाद उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया, लेकिन वहां से राहत नहीं मिलने पर सुप्रीम कोर्ट की शरण ली. सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका पर विचार करते हुए यह अंतरिम राहत प्रदान की.
यह मामला न केवल कानूनी दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह वर्तमान राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में अभिव्यक्ति की सीमाओं और जिम्मेदारियों पर भी गंभीर विमर्श को जन्म देता है. सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला आने वाले समय में नेताओं के आचरण और बयानबाजी के लिए एक नजीर बन सकता है.
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