सुप्रीम कोर्ट ने उठाए ईडी की कार्यवाही पर सवाल, कहा- कम है कनविक्शन रेट

देश की सर्वोच्च अदालत यानी सुप्रीम कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) की कार्यवाही पर तीखे सवाल उठाए हैं. खासकर मामलों में कम कनविक्शन रेट को लेकर.

देश की सर्वोच्च अदालत यानी सुप्रीम कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) की कार्यवाही पर तीखे सवाल उठाए हैं. खासकर मामलों में कम कनविक्शन रेट को लेकर.

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Mohit Bakshi
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Supreme Court

सुप्रीम कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) की कार्यवाही पर तीखे सवाल उठाए हैं. खासकर मामलों में कम कनविक्शन रेट को लेकर. 'पंजाब नेशनल बैंक बनाम कल्याणी ट्रांसको' मामले की सुनवाई के दौरान, मुख्य न्यायाधीश  बीआर गवई के जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस विनोद चंद्रन की पीठ ने एक महत्वपूर्ण टिप्पणी की.  इस दौरान ​पीठ ने कहा कि भले ही आरोपी दोषी साबित न हों, ED उन्हें बिना किसी मुकदमे के सालों तक जेल में रखने में सफल रही है.

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सीजेआई ने की ये टिप्पणी

इस दौरान CJI गवई ने सीधे तौर पर टिप्पणी की, "अगर वे दोषी नहीं भी पाए जाते हैं, तो भी आप (ED) उन्हें बिना किसी मुकदमे के सालों तक कैद करने में सफल रहे हैं. " ​यह टिप्पणी तब आई जब अदालत भूषण पावर एंड स्टील लिमिटेड (BPSL) के लिए JSW स्टील की समाधान योजना को खारिज करने के अपने पिछले आदेश की समीक्षा कर रही थी.  

क्या बोले सॉलिसिटर जनरल 

इस दौरान, कमेटी ऑफ क्रेडिटर्स (CoC) की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि ED ने 20,000 करोड़ रुपए से ज्यादा की राशि वसूल कर पीड़ितों को वितरित की है.  ​मेहता की दलीलों के जवाब में, सीजेआई गवई ने उनसे सीधे पूछा, "दोषसिद्धि की दर कितनी है?"  इस दौरान उन्होंने यह भी साफ किया कि अदालत प्रेस रिपोर्टों के आधार पर कोई फैसला नहीं लेती है. 

सीजेआई ने पूछा दोषसिद्धि दर क्या है?

वहीं इस पर मुख्य न्यायाधीश गवई ने पूछा ईडी की ओर से की गई कार्यवाही में सजा कितने लोगों को मिली? दोषि सिद्ध की दर क्या है? सीजेआई के सवाल पर एसजी मेहता ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि दोषसिद्ध की दर कम है और इसकी वजह देश की आपराधिक न्याय प्रणाली की खामियां हैं. 

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Supreme Court ed Enforcement Directorate
      
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