Supreme Court: भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने पारदर्शिता और जवाबदेही की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है. हाल ही में, न्यायालय के न्यायाधीशों की पूर्ण बैठक में यह निर्णय लिया गया कि सभी न्यायाधीश अपनी संपत्ति का विवरण घोषित करेंगे और इसे न्यायालय की आधिकारिक वेबसाइट पर प्रकाशित किया जाएगा. इस निर्णय के बाद, सोमवार रात को 33 में से 21 न्यायाधीशों ने अपनी संपत्ति की जानकारी सार्वजनिक कर दी है. घोषित विवरण में न्यायाधीशों, उनके जीवनसाथियों और आश्रितों (यदि कोई हों) की चल और अचल संपत्तियों का विस्तृत ब्यौरा शामिल है. इस जानकारी से नागरिकों को न्यायाधीशों की वित्तीय स्थिति और हितों के संभावित टकरावों के बारे में जानने का अवसर मिलेगा.
कुछ प्रमुख खुलासे
घोषित संपत्तियों के अनुसार, वर्तमान मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना के पास सावधि जमा और बैंक खातों में 55.75 लाख रुपये और सार्वजनिक भविष्य निधि (पीपीएफ) में 1.06 करोड़ रुपये हैं. वहीं, न्यायमूर्ति बी आर गवई, जो आगामी 14 मई को मुख्य न्यायाधीश का पदभार संभालेंगे, ने अपने बैंक खातों में 19.63 लाख रुपये और पीपीएफ खाते में 6.59 लाख रुपये की संपत्ति घोषित की है.
अचल संपत्तियों की बात करें तो न्यायमूर्ति खन्ना के पास दक्षिण दिल्ली में दो बेडरूम का डीडीए फ्लैट और कॉमनवेल्थ गेम्स विलेज में एक चार बेडरूम का फ्लैट है. गुरुग्राम स्थित एक चार बेडरूम के फ्लैट में उनकी 56 प्रतिशत हिस्सेदारी है, जबकि शेष 44 प्रतिशत उनकी बेटी के पास है. इसके अतिरिक्त, हिमाचल प्रदेश में उनके पास एक पैतृक घर में भी हिस्सा है.
जस्टिस गवई को महाराष्ट्र के अमरावती में एक घर के साथ-साथ मुंबई और दिल्ली में भी आवासीय अपार्टमेंट विरासत में मिले हैं. उन्होंने अमरावती और नागपुर में कृषि भूमि भी विरासत में प्राप्त की है. उन्होंने 1.3 करोड़ रुपये की देनदारी भी घोषित की है.
न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया के पास एक 2008 मॉडल की मारुति जेन एस्टिलो कार है, जो वर्तमान में उपयोग में नहीं है. उनकी घोषित सभी अचल संपत्तियां उनके न्यायाधीश बनने से पहले की हैं और इनमें कोई वृद्धि नहीं हुई है.
मई 2023 में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत होने से पहले एक सफल वकील रहे न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन ने कुल 120.96 करोड़ रुपये का निवेश घोषित किया है और 2010-11 से 2024-25 तक 91.47 करोड़ रुपये का आयकर चुकाया है.
पारदर्शिता क्यों महत्वपूर्ण है?
न्यायपालिका की स्वतंत्रता और निष्पक्षता बनाए रखने के लिए पारदर्शिता एक आवश्यक तत्व है. न्यायाधीशों द्वारा अपनी संपत्ति का खुलासा करने से हितों के टकराव की संभावना कम होती है और जनता का न्यायपालिका पर विश्वास मजबूत होता है. यह कदम न्यायिक प्रणाली की अखंडता और विश्वसनीयता को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा.
सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय का व्यापक रूप से स्वागत किया जा रहा है. यह उम्मीद की जाती है कि शेष न्यायाधीश भी जल्द ही अपनी संपत्ति का विवरण सार्वजनिक करेंगे, जिससे यह पारदर्शिता की एक पूर्ण और प्रभावी पहल बन सके. यह निश्चित रूप से भारतीय न्यायपालिका के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है.
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