Industrial Alcohol: सुप्रीम कोर्ट ने शराब पर पलटा तीन दशक से अधिक पुराना फैसला, जानें क्या है पूरा मामला

Industrial Alcohol: औद्योगिक शराब को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अपने ही 34 साल पुराने फैसले को बुधवार को पलट दिया. सुप्रीम कोर्ट की 9 जजों वाली संवैधानिक पीठ में से आठ जजों ने माना कि औद्योगिक शराब को लेकर कानून बनाने का अधिकार राज्यों के पास होना चाहिए.

Industrial Alcohol: औद्योगिक शराब को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अपने ही 34 साल पुराने फैसले को बुधवार को पलट दिया. सुप्रीम कोर्ट की 9 जजों वाली संवैधानिक पीठ में से आठ जजों ने माना कि औद्योगिक शराब को लेकर कानून बनाने का अधिकार राज्यों के पास होना चाहिए.

author-image
Suhel Khan
New Update
Supreme Court 23 oct

औद्योगिक शराब पर सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला (Social Media)

Industrial Alcohol: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को औद्योगिक शराब  पर केंद्र के अधिकार को समाप्त कर दिया. इसी के साथ शीर्ष कोर्ट ने तीन दशक से ज्यादा पुराने को पलट दिया. सुप्रीम कोर्ट के 9 जस्टिस वाली संवैधानिक पीठ ने 8:1 के अनुपात से इंडस्ट्रियल अल्कोहल पर केंद्र के अधिकार को खत्म करने का फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच ने अपने फैसले में कहा कि औद्योगिक शराब पर कानून बनाने का अधिकार राज्य को है. शीर्ष कोर्ट ने कहा कि केंद्र के पास औद्योगिक अल्कोहल के उत्पादन पर नियामक शक्ति का अभाव है.

सुप्रीम कोर्ट के 1990 के आदेश को किया खारिज

Advertisment

इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने साल 1990 के 7 न्यायाधीशों की संवैधानिक पीठ के सिंथेटिक्स और केमिकल्स मामले में सुनाए फैसले को खारिज कर दिया. बता दें कि साल 1990 में संवैधानिक पीठ ने केंद्र के पक्ष में फैसला सुनाया था. तब संवैधानिक पीठ ने कहा था कि राज्य समवर्ती सूची के तहत भी औद्योगिक शराब को विनियमित करने का दावा नहीं कर सकते हैं.

ये भी पढ़ें: IND vs NZ: 'हम भारत की स्पिन से नहीं डरते...', न्यूजीलैंड के बल्लेबाज ने पुणे टेस्ट से टीम इंडिया को हड़काया

एससी ने राज्य के हक में सुनाया फैसला

मामले की सुनवाई के बाद सीजेआई डीवाईं चंद्रचूड़ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि औद्योगिक अल्कोहल पर कानून बनाने के राज्य के अधिकार को छीना नहीं जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि राज्यों को औद्योगिक एल्कोहल के उत्पादन और सप्लाई को लेकर भी नियम बनाने का अधिकार है.

ये भी पढ़ें: सीमा विवाद से संवाद तक: भारत-चीन संबंधों में प्रगति, पाकिस्तान के साथ भी करतारपुर कॉरिडोर समझौते का विस्तार

शीर्ष कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि उपभोक्ता इस्तेमाल में आने वाली शराब से जुड़ी कानूनी शक्ति राज्यों के पास हैं. एससी ने कहा कि इसी तहर से राज्यों को औद्योगिक एल्कोहल के भी नियमन का अधिकार होना चाहिए. इस मामले में बहुमत का फैसला सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस हृषिकेश रॉय, एएस ओका, जेबी पारदीवाला, उज्ज्वल भुइयां, मनोज मिश्रा, एससी शर्मा और एजी मसीह ने सुनाया.

ये भी पढ़ें: हो गया तय! कौन होगा BJP का नया अध्यक्ष, इस दिन हटेगा पर्दा

जीएसटी लागू होने के बाद एससी पहुंचे थे याचिकाकर्ता

इस मामले में एक न्यायाधीश ने असहमति भी जताई. दरअसल, जस्टिस बीवी नागरत्ना असहमति जताते हुए कहा कि केवल केंद्र के पास ही औद्योगिक शराब को विनियमित करने की विधायी शक्ति होगी. बता दें कि इस मामले में याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया था कि जीएसटी लागू होने के बाद आय के महत्वपूर्ण स्रोत के रूप में इंडस्ट्रियल अल्कोहल पर टैक्स लगाने का अधिकार बहुत जरूरी हो गया है.

Supreme Court CJI DY Chandrachud CJI Alcohol dy chandrachud Chief Justice DY Chandrachud
Advertisment