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Sudarshan Chakra roars in Thar: थार के तपते मरुस्थल में भारतीय सेना की दक्षिणी कमान ने अपने रणनीतिक कौशल, अत्याधुनिक तकनीक और संयुक्त युद्धक क्षमता का प्रभावशाली प्रदर्शन किया। ‘मरु ज्वाला’ नामक इस विशाल सैन्य अभ्यास ने साबित किया कि भारत की सेना किसी भी बहुआयामी युद्ध के लिए पूरी तरह तैयार है। यह युद्धाभ्यास त्रि-सेवा अभ्यास ‘त्रिशूल’ का अंतिम और सबसे महत्वपूर्ण चरण था, जो पश्चिमी सीमाओं के समीप आयोजित हुआ जहाँ भारत की स्ट्राइक फोर्स की तैनाती सामरिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है।
दक्षिणी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल धीरज सेठ (PVSM, AVSM) ने अंतिम चरण का निरीक्षण करते हुए जवानों की तैयारी की सराहना की। उन्होंने कहा, “सुदर्शन चक्र कोर ने दो महीनों तक थार की कठिन परिस्थितियों में अथक अभ्यास किया है। शाहबाज़ डिवीजन, एविएशन ब्रिगेड, इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर ब्रिगेड और पारा-एसएफ बटालियन ने जिस समन्वय और दक्षता का प्रदर्शन किया है, वह हमारी प्रहारक शक्ति की पहचान है। यह कोर आधुनिक स्वदेशी तकनीक के साथ भविष्य के युद्धों में निर्णायक भूमिका निभाने के लिए तैयार है।”
अभ्यास के दौरान नई पीढ़ी के हथियार प्रणालियों, स्वदेशी ड्रोन, एंटी-ड्रोन सिस्टम और अत्याधुनिक टैक्टिक्स, टेक्निक्स एंड प्रोसिजर्स (TTPs) का सफल परीक्षण किया गया। मरुस्थलीय इलाके में आयोजित इस अभ्यास में मेकेनाइज्ड कॉलम, इंफैंट्री यूनिट्स, थार रैप्टर्स एविएशन साधन और भारतीय वायुसेना के तत्वों ने संयुक्त रूप से सटीक और जटिल अभियानों को अंजाम दिया।
अभ्यास का सबसे आकर्षक क्षण वह था जब भारतीय सेना और वायुसेना ने संयुक्त एयरबोर्न असॉल्ट ऑपरेशन को अंजाम दिया जिसने दोनों सेनाओं की तालमेल, तकनीकी कौशल और मिशन तत्परता का अद्भुत प्रदर्शन किया। इस संयुक्त शक्ति प्रदर्शन ने स्पष्ट संदेश दिया कि भारत की स्ट्राइक फोर्स किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए तत्पर है।
लेफ्टिनेंट जनरल सेठ ने कहा कि भारतीय सेना ‘आत्मनिर्भर भारत’ की भावना के अनुरूप नवाचार, एकीकरण और स्वदेशीकरण के मार्ग पर तेजी से आगे बढ़ रही है। उन्होंने सुदर्शन चक्र कोर के अधिकारियों और सैनिकों की निष्ठा, पेशेवर दक्षता और समर्पण की प्रशंसा की।
‘मरु ज्वाला’ ने एक बार फिर यह सिद्ध किया कि सुदर्शन चक्र कोर केवल दक्षिणी कमान की प्रहारक शक्ति नहीं, बल्कि भारत की सीमाओं की प्रहरी है - जिसकी गूंज पाकिस्तान की सीमा पार तक सुनाई देती है।
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