/newsnation/media/media_files/QTlrzXgZ082TcPNYh7OS.jpg)
Sonam Wangchuk
जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक स्वतंत्रता दिवस से 28 दिनों का उपवास शुरू करेंगे. हालांकि, उनका कहना है कि अगर सरकार लद्दाख के अधिकारियों को पूर्ण राज्य का दर्जा देने और संवैधानिक संरक्षण देने की मांग पर बातचीत करने के लिए आमंत्रित नहीं करेंगे तो ही वे अनशन शुरू करेंगे. वांगचुक ने रविवार को इसकी घोषणा की.
उम्मीद है- सरकार ठोस कदम उठाएगी
एक साक्षात्कार में वांगचुक ने कहा कि लेह और लद्दाख के दलों ने पीएम मोदी को अपनी मांगो का एक ज्ञापन सौंपा था. हम सरकार पर चुनाव के दौरान अधिक दबाव नहीं डालना चाहते थे. हमने चुनाव बाद भी सरकार को परेशान करना नहीं चाहा था. हमें उम्मीद है कि सरकार कुछ ठोस कदम उठाएगी. हमें उम्मीद है कि वे हमारे नेताओं को बात करने के लिए आमंंत्रित करेंगे. ऐसा नहीं होता तो हम 15 अगस्त से विरोध प्रदर्शन का एक और दौर शुरू करेंगे.
क्यों डरे हुए हैं लद्दाख के लोग
वांगुचक ने साक्षात्कार में आगे कहा कि लद्दाख की भूमि लद्दाख स्वायत्त पहाड़ी विकास परिषद (एलएएचडीसी) की सहमति के बिना ही सौर ऊर्जा परियोजनाओं के आवंटित की जा रही है. एलएएचडीसी की शक्तियों को कमजोर किया जा रहा है. इस वजह से लद्दाख के नागरिक डरे हुए हैं. यहां सौर ऊर्जा से 35 गीगावाट और पवन ऊर्जा से 100 गीगावाट बिजली पैदा करने की क्षमता है. वांगचुक का कहना है कि लद्दाख स्वच्छ ऊर्जा के लिए तैयार है पर यह सब कुछ उचित तरीके से होना चाहिए. सौर ऊर्जा के कारण स्थानीय लोगों और वन्यजीवों के अस्तित्व को नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए.
जलवायु परिवर्तन की कार्रवाई से नाखुश
उनका कहना है कि जलवायु परिवर्तन को लेकर सरकार ने कई बड़ी घोषणाएं की. हालांकि, जमीनी स्तर पर कुछ नहीं हुआ. उन्होंने सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाया. उन्होंने लद्दाख को कार्बन न्यूट्रल घोषित किया. उनका कहना है कि तमाम घोषणाओं के बाद जमीन पर कुछ नहीं हुआ. अब कोयला बिजली के इस्तेमाल पर बात हो रही है. यह सब कुछ देखकर मुझे बहुत दुख हो रहा है.