Operation Sadbhavana: देश के पहले मतदान केंद्र वाले गांव में सेना का ऑपरेशन सद्भावना, सौर ऊर्जा से रोशन किए सभी घर

Operation Sadbhavana: भारतीय सेना ने कश्मीर के सिमारी गांव को पहली बार सौर ऊर्जा से रोशन कर दिया. असीम फाउंडेशन ने इसमें सेना का साथ दिया. ऑपरेशन सद्भावना के तहत गांव के हर घर में बिजली और एलपीजी की सुविधा बहाल की गई है.

Operation Sadbhavana: भारतीय सेना ने कश्मीर के सिमारी गांव को पहली बार सौर ऊर्जा से रोशन कर दिया. असीम फाउंडेशन ने इसमें सेना का साथ दिया. ऑपरेशन सद्भावना के तहत गांव के हर घर में बिजली और एलपीजी की सुविधा बहाल की गई है.

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Jalaj Kumar Mishra
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Simari Village of LOC Operation Sadbhavana by Indian Army and Aseem Foundation Solar Lights

Operation Sadbhavana: राष्ट्र निर्माण और सतत विकास की दिशा में भारतीय सेना और असीम फाउंडेशन ने ऐतिहासिक कदम उठाया है. इंडियन आर्मी और फाउंडेशन ने कश्मीर की करनाह घाटी में एलओसी पर स्थित गांव सिमारी को पहली बार सौर ऊर्जा से विद्युतीकृत किया. खास बात है कि इस गांव में ही देश का पहला मतदान केंद्र स्थित है. इस गांव की भौगोलिक स्थिति भी खास है. 

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शाम होते ही अंधेरे में डूब जाता था गांव 

2025 में भी सिमारी गांव के लोग बिजली की कमी से परेशान थे. वे आज भी जलाऊ लकड़ी और मिट्टी के तेल पर ही निर्भर थे. इसकी वजह से उन्हें कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता था. सूरज के ढलने के बाद ही गांव अंधेरे में डूब जाता था. बच्चों की पढ़ाई भी इससे बाधित होती थी. स्थानीय लोगों की अपील पर भारतीय सेना ने कार्रवाई की और गांव को एक स्थायी समाधान दिया. अब गांव के लोगों को अंधेरे में अपना जीवन बिताने के लिए मजबूर नहीं होना पड़ेगा. 

ये परियोजना सेना ने ऑपरेशन सद्भावना के तहत शुरू की है. सिमारी को चार माइक्रो-ग्रिड क्लस्टर में बांटा गया है. हर एक क्लस्टर को सौर पैनलों, बैटरी, इनवर्टर सहित अन्य चीजों से लैस किया गया है. गांव के सभी 53 घरों में ऑपरेशन सद्भावना के तहत एलआईडी लाइट्स, सेफ्टी लिमिटर और पॉवर सॉकेट लगाए गए हैं. गांव में अब स्थायी बिजली की सुविधा बहाल हो गई है.

बिजली के साथ-साथ इन चीजों की भी व्यवस्था की

ऑपरेशन सद्भावना के तहत सेना और असीम फाउंडेशन ने गांव तक सिर्फ बिजली ही नहीं बल्कि हर घर को एलपीजी कनेक्शन भी प्रदान किया है. एलपीजी सिलेंडर के साथ-साथ ग्रामीणों को डबल बर्नर वाला चूल्हा, पाइप और रेगुलेटर भी उपलब्ध करवाया गया है. इस कदम से ग्रामीणों की जलाऊ लकड़ी से निर्भरता कम हो गई. पर्यावरण और स्वास्थ्य दोनों को ही इससे लाभ हुआ है. 

इन शहीद को समर्पित है ये पहल

बता दें, परियोजना की स्थापना में भारतीय सेना के चिनार कोर की भूमिका अहम रही है. वहीं, असीम फाउंडेशन के इंजीनियरों ने न सिर्फ टेक्निकल व्यवस्था की. बल्कि उन्होंने ग्रामीणों को संचालन और रखरखाव की ट्रेनिंग भी दी. खास बात है कि शौर्य चक्र से सम्मानित कर्नल संतोष महादिक की स्मृति में ये पहल समर्पित है. वे 2015 में कश्मीर में आतंकियों से लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हो गए थे. शहीद कर्नल की मां खुद सिमारी गांव आएंगी और परियोजना का उद्घाटन करेंगी.

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