शिमला की विवादित संजौली मस्जिद मामले की शनिवार को सुनवाई हुई. शिमला नगर निगम आयुक्त कोर्ट ने आदेश दिया कि बाकी बची हुई निचली दो मंजिलों को भी तोड़ा जाएगा. शनिवार को आज वक्फ बोर्ड को मस्जिद की जमीन के मालिकाना हक के कागज और मस्जिद का नक्शा भी अदालत में पेश करना था. लेकिन वक्फ बोर्ड की ओर से पेश हुए वकील न तो सही कागजात दे पाए और न ही मजबूती के साथ अपना पक्ष रख पाए.
सुनवाई में क्या हुआ
वक्फ बोर्ड के वकील ने कहा कि मस्जिद 1947 से पहले की थी, जिसे तोड़कर बनाया गया है. संजौली लोकल रेजिडेंट के अधिवक्ता जगत पाल ने कहा कि नगर निगम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान पूछा कि अगर मस्जिद 1947 से पहले की थी तो पुरानी मस्जिद को तोड़कर नई बनाने के लिए नगर निगम से नक्सा सहित अन्य जरूरी अनुमति क्यों नहीं ली गई. नियमों को ताक पर रखकर पूरी मस्जिद बनाई गई है. सुनवाई करीब पौन घंटे चली, जिसके बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया. इसके बाद दोपहर एक बजे नगर निगम आयुक्त भूपिंदर अत्री ने फैसला सुनाया. अदालत ने साफ कहा कि पूरी मस्जिद अवैध है. इसे गिराया जाए.
पूरे देश में मचा था बवाल
संजौली मस्जिद के कारण, पिछले साल पूरे देश में बवाल मच गया था. दरअसल, 31 अगस्त 2024 को शिमला के मेहली में दो समुदायों के बीच मारपीट हुई. मारपीट में शामिल एक समुदाय के लोग संजौली मस्जिद में छिप गए थे. इसके बाद एक सितंबर को मस्जिद के बाहर बड़ी संख्या में स्थानीय लोगों ने प्रदर्शन किया. कार्रवाई करने के लिए हिंदू संगठनों ने कई बार उग्र प्रदर्शन किया.
मस्जिद कमेटी ने खुद अवैध हिस्सा तोड़ने की पेशकश की
संजौली में इस दौरान, प्रदर्शनकारियों पर हल्के बल का इस्तेमाल किया गया. वाटरकैनन का भी इस्तेमाल किया गया. हिंदू संगठन इससे भड़क गए. प्रदेश भर में प्रदर्शन हुए. अब अन्य मस्जिदों को तोड़ने की भी मांग उठने लगी. इस बीच, 12 सितंबर को संजौली मस्जिद कमेटी खुद निगम आयुक्त कोर्ट पहुंची और खुद से अवैध हिस्सा तोड़ने की पेशकश की. इसके बाद विवाद शांत हुआ.