सासंद शशि थरुर को लेकर कांग्रेस में बड़ी फुट, बीजेपी ने किया फुल सपोर्ट!

शशि थरूर को बहुदलीय प्रतिनिधिमंडल का अध्यक्ष बनाए जाने के बाद कांग्रेस में दरार खुलकर सामने आ गई है. कांग्रेस नेता जयराम नरेश ने थरूर पर तीखे अंदाज में हमला बोला है. उन्होंने कहा "कांग्रेस में होना और कांग्रेस का होना दोनों में फर्क है."

शशि थरूर को बहुदलीय प्रतिनिधिमंडल का अध्यक्ष बनाए जाने के बाद कांग्रेस में दरार खुलकर सामने आ गई है. कांग्रेस नेता जयराम नरेश ने थरूर पर तीखे अंदाज में हमला बोला है. उन्होंने कहा "कांग्रेस में होना और कांग्रेस का होना दोनों में फर्क है."

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Ravi Prashant
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ऑपरेशन सिंदूर Photograph: (X)

केंद्र सरकार पहलगाम आतंकी हमले और "सिंदूर ऑपरेशन" के बाद अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत का पक्ष रखने के लिए बनाए गए बहुदलीय प्रतिनिधिमंडल को लेकर सियासी घमासान मच गया है. इस प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस सांसद शशि थरूर का नाम शामिल किए जाने से कांग्रेस पार्टी के अंदर मतभेद खुलकर सामने आ गए हैं.

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राहुल गांधी ने दिए थे चार नाम

केंद्र सरकार ने इस प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई शशि थरूर को सौंपी है, लेकिन कांग्रेस की ओर से भेजी गई आधिकारिक सूची में थरूर का नाम शामिल नहीं है. कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने सार्वजनिक रूप से चार नाम जारी किए, जिनमें आनंद शर्मा, गौरव गोगोई, अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग और नसीर हुसैन है. जिनका प्रस्ताव खुद विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने किया है. इससे यह स्पष्ट हुआ कि थरूर का नाम स्वीकार्य नहीं था.

कांग्रेस नेता ने की तीखी टिप्पणी

शशि थरूर का दावा है कि उन्हें इस प्रतिनिधिमंडल में शामिल होने का प्रस्ताव पहले ही मिला और उन्होंने पार्टी को इसकी जानकारी दे दी थी. बावजूद इसके, कांग्रेस ने उन्हें नामित नहीं किया, जिससे यह संकेत मिलने लगे हैं कि पार्टी नेतृत्व उनके प्रति भरोसा नहीं. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा, " "कांग्रेस में होना और कांग्रेस का होना दोनों में फर्क है." यह बयान पार्टी के भीतर थरूर की निष्ठा पर गहरे संदेह को दर्शाता है. 

थरूर की ‘पार्टी लाइन’ से अलग राह

शशि थरूर पहले भी कई मुद्दों पर पार्टी लाइन से हटकर बयान देते रहे हैं. चाहे राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ना हो, केरल में वाम सरकार की प्रशंसा करना हो या केंद्र सरकार के कुछ नीतिगत फैसलों का समर्थन करना. हाल ही में उन्होंने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मध्यस्थता की बात को पूरी तरह नकारते हुए केंद्र सरकार का अप्रत्यक्ष समर्थन किया, जिससे पार्टी नेतृत्व असहज हो गया.

सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी की बैठक के बाद ही जयराम रमेश का बयान आया, जिसमें कहा गया कि "थरूर की राय, पार्टी की राय नहीं है." इस बयान के साथ कांग्रेस ने थरूर से अपनी दूरी स्पष्ट कर दी है.

बीजेपी पर भी कांग्रेस का हमला

कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर यह आरोप लगाया है कि उसने जानबूझकर विपक्ष की ओर से भेजे गए नामों को नजरअंदाज किया और अपनी पसंद के नामों को प्रतिनिधिमंडल में शामिल किया. कांग्रेस का कहना है कि इस तरह सरकार बहुदलीय सहयोग के नाम पर एकतरफा निर्णय कर रही है.

अमित मालवीय ने उठाए कई गंभीर सवाल

बीजेपी के IT सेल प्रमुख अमित मालवीय ने इस पर सवाल उठाते हुए कहा कि कांग्रेस खुद नहीं चाहती कि शशि थरूर जैसा अंतरराष्ट्रीय अनुभव रखने वाला नेता देश की तरफ से दुनिया के सामने बोले. उन्होंने कहा, “थरूर की विदेश नीति पर समझ, UN में अनुभव और बोलने की क्षमता किसी से छिपी नहीं है. तो कांग्रेस ने उन्हें क्यों नहीं चुना? क्या ये जलन है या फिर हाई कमान से ज़्यादा चमकने का डर?”

थरूर ने जताया अभार

थरूर ने सरकार का आभार जताया कि उन्हें प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा बनाया गया, लेकिन पार्टी के भीतर उनके खिलाफ माहौल गर्म होता दिख रहा है. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस और थरूर के बीच मतभेद अब खुलकर सामने आ गए हैं, और यह दूरी भविष्य में और बढ़ सकती है.

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