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SCO Summit Photograph: (Social Media)
पूरी दुनिया की नजरें इस समय चीन के तियानजिन शहर में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन यानी एससीओ समिट पर टिकी हुई हैं. कारण, एससीओ समिट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का एक साथ मिलना है. एससीओ के बैनर तले तीनों नेताओं की हुई इस मुलाकात ने वैश्विक राजनीति में हलचल पैदा कर दी है, जिसका सबसे ज्यादा असर अमेरिका पर पड़ता नजर आ रहा है. दरअसल, तीनों महाशक्तियों के बीच हुई बैठक ने अमेरिका की बेचैनी बढ़ा दी है, यही वजह है कि वॉशिंगटन अब भारत के साथ अपनी दोस्ती और संबंधों का महत्व बता रहा है.
अमेरिका ने भारत के साथ अपने गहरे संबंधों की अहमियत बताई
दरअसल, राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली स्थित अमेरिकी दूतावास ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक लंबा-चौड़ा पोस्ट लिखा है. इस पोस्ट में अमेरिका ने भारत के साथ अपने गहरे संबंधों की अहमियत बताई है. अपनी पोस्ट में अमेरिकी दूतावास ने लिखा कि संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत के बीच साझेदारी लगातार नई ऊंचाइयों को छू रही है. भारत-अमेरिका की पार्टनरशिप 21वीं सदी का परिभाषित संबंध है. हमारे बीच की यह पार्टनरशिप लगातार नई-नई ऊंचाइयां छू रही है. इस साझेदारी का आधार दोनों देशों (भारत-अमेरिका) की जनता का स्थाई मित्रता है. अमेरिकी दूतावास के इस पोस्ट में वहां के विदेश मंत्री मार्को रूबियो का एक बयान भी शामिल है, जिसमें उन्होंने भारत-अमेरिका के संबंधों का आधार दोनों देशों के लोगों के बीच गहरी दोस्ती को बताया है.
The partnership between the United States and India continues to reach new heights — a defining relationship of the 21st century. This month, we’re spotlighting the people, progress, and possibilities driving us forward. From innovation and entrepreneurship to defense and… pic.twitter.com/tjd1tgxNXi
— U.S. Embassy India (@USAndIndia) September 1, 2025
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एससीओ समिट में हिस्सा लेने चीन गए
अमेरिकी दूतावास का यह ट्वीट ऐसे समय आया है, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एससीओ समिट में हिस्सा लेने चीन गए हैं और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मिल रहे हैं. दरअसल, अमेरिका ने पिछले दिनों भारत पर 50 प्रतिशत आयात शुल्क लगाया है. इसमें 25 प्रतिशत पेनल्टी भारत द्वारा रूर से कच्चे तेल और हथियारों का व्यापार करने को लेकर लगाई गई है. अमेरिका की तरफ से किसी भी देश पर लगाया गया यह सबसे ज्यादा टैरिफ है. अमेरिकी टैरिफ के बाद से दोनों देशों के रिश्ते सबसे निचले स्तर पर चले गए हैं. वहीं, भारत ने साफ कर दिया है कि देशवासियों के हितों से कोई समझोता नहीं किया जाएगा. ऐसे में भारत और चीन के रिश्तों में फिर से गर्माहट देखने को मिली है.