मध्य पूर्व में एक बार फिर हालात तनावपूर्ण हैं. ईरान और इज़राइल के बीच बढ़ती सैन्य झड़पों के बीच हज यात्रा पर गए हजारों ईरानी नागरिकों की स्थिति चिंता का विषय बन गई थी. ऐसे समय में सऊदी अरब ने एक बड़ा और मानवीय फैसला लेते हुए करीब 80 हजार ईरानी हाजियों को तब तक अपने यहां सुरक्षित रोकने का आदेश दिया है, जब तक इस संघर्ष में ठहराव नहीं आ जाता. हज के लिए इस बार ईरान से रिकॉर्ड संख्या में जायरीन सऊदी पहुंचे थे. इनमें से कई अपनी यात्रा पूरी कर लौट चुके हैं, जबकि कुछ लोग उमराह या अन्य निजी कारणों से सऊदी में ही रुके हुए थे. लेकिन जैसे ही इज़राइल ने ईरान पर हमला किया और ईरान ने अपने हवाई क्षेत्र को बंद कर दिया, तो उनकी वापसी असंभव हो गई.
सऊदी का यह कदम मानवता की मिसाल
स्थिति की गंभीरता को समझते हुए सऊदी अरब ने उन्हें 'शाही मेहमान' की तरह अपने यहां ठहराने का ऐलान किया. इसका मतलब है कि न सिर्फ उन्हें रुकने की सुविधा मिलेगी, बल्कि स्वास्थ्य, सुरक्षा और भोजन जैसी सभी ज़रूरतों का ध्यान भी सऊदी प्रशासन द्वारा रखा जाएगा. विशेष बात यह है कि यह फैसला ऐसे समय में लिया गया है जब सऊदी अरब और ईरान के रिश्ते हाल ही में सामान्य हुए हैं. लंबे समय तक चले तनाव के बाद दोनों देशों ने चीन की मध्यस्थता में राजनयिक संबंध बहाल किए थे. ऐसे में सऊदी का यह कदम न सिर्फ मानवता की मिसाल है, बल्कि कूटनीतिक दृष्टि से भी बेहद अहम माना जा रहा है.
मेरिका ने भी सऊदी अरब से संपर्क साधा
इस बीच, अमेरिका ने भी सऊदी अरब से संपर्क साधा है और ईरान-इज़राइल संघर्ष में मध्यस्थता के लिए उसकी भूमिका की सराहना की है. एक्सियोस के मुताबिक, डोनाल्ड ट्रंप और सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के बीच इस मुद्दे पर फोन पर चर्चा भी हुई है. लेकिन सऊदी अरब का रुख स्पष्ट है-उसका मानना है कि इज़राइल ने ईरान की संप्रभुता का उल्लंघन किया है, और अब उसे वैश्विक मंच पर ज़िम्मेदार ठहराया जाना चाहिए. इस पूरे घटनाक्रम में एक बात तो स्पष्ट है-सऊदी अरब अब केवल धार्मिक नेतृत्व तक सीमित नहीं है, बल्कि वह क्षेत्रीय स्थिरता और मानवीय सरोकारों में भी एक निर्णायक भूमिका निभा रहा है