Samosa-Jalebis to Carry Warnings Soon: अब समोसा खाने से पहले सिर्फ जीभ नहीं सेहत का ख्याल भी करना होगा. जलेबी की मिठास के साथ-साथ अब एक हेल्थ वार्निंग भी आपको दिखाई देगी. बिल्कुल वैसे ही जैसे सिगरेट और तंबाकू के पैकेट्स पर लिखा रहता है. स्वास्थ्य के लिए हानिकारक. भारत सरकार ने अब समोसा और जलेबी बेचने वालों के लिए हेल्थ चेतावनी बोर्ड लगाना अनिवार्य कर दिया है. यह फैसला देश भर की सरकारी कैंटीनों और रेस्टोरेंट्स में लागू किया जाएगा. भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने इस संबंध में एक आधिकारिक नोटिफिकेशन जारी किया है.
फिट इंडिया पहल से जुड़ा कैंपेन
इसके तहत जहां भी समोसा या जलेबी जैसे ऑयली और शुगर बेस्ड फूड आइटम बिकते हैं. वहां की दीवारों पर रंग बिरंगे हेल्थ वार्निंग पोस्टर लगाना अब अनिवार्य होगा. इन पोस्टरों में बताया जाएगा कि एक समोसे या एक जलेबी में कितनी मात्रा में तेल, शक्कर और फैट होता है. इस पहल का उद्देश्य है लोगों को जागरूक करना कि जो नाश्ता वह रोजाना खाते हैं, उसका उनकी सेहत पर कितना असर पड़ता है. यह फैसला सरकार की फिट इंडिया पहल से भी जुड़ा है जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुरू किया था. स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मानें तो आज के समय में मोटापा एक साइलेंट एपिडेमिक बन चुका है और अगर समय रहते इस पर काबू नहीं पाया गया तो 2025 तक भारत में मोटापे से ग्रस्त लोगों की संख्या 44.9 करोड़ तक पहुंच सकती है.
जलेबी जैसी मीठी चीजें लोगों की दिनचर्चा में शामिल
ऐसे में सरकार का यह कदम एक बड़ा जन जागरूकता अभियान माना जा रहा है. कई रिपोर्ट्स में यह भी दावा किया गया है कि तली, भुनी और अत्याधिक मीठी चीजें जैसे समोसा और जलेबी लोगों की दिनचर्या पर हिस्सा बन चुकी हैं. लेकिन इन्हीं चीजों से सबसे ज्यादा स्वास्थ्य समस्याएं होती हैं. जैसे मोटापा, हाई ब्लड प्रेशर और हाई डायबिटीज. इसलिए अब इन पर चेतावनी जरूरी है ताकि लोग सोच समझ कर खाएं. सरकार के निर्देश के अनुसार इन ऑयल एंड शुगर वार्निंग बोर्ड्स में यह स्पष्ट लिखा होगा कि एक सर्विंग में कितनी कैलोरी, कितना ट्रांस फैट और कितना शुगर है. उदाहरण के तौर पर एक जलेबी में औसतन 150 से 200 कैलोरी और बहुत ज्यादा शुगर होती है.
समोसे में डीप फ्राई तेल और कार्बोहाइड्रेट की भरमार
वहीं समोसे में डीप फ्राई तेल और कार्बोहाइड्रेट की भरमार होती है. यह नियम शुरुआत में सरकारी कैंटीन और संस्थानों के रेस्टोरेंट्स में लागू होगा. लेकिन बाद में इसे अन्य सार्वजनिक खाद्य स्थानों तक भी बढ़ाया जा सकता है. इसके जरिए सरकार यह संकेत देना चाहती है कि अब सेहत से जुड़ी जागरूकता केवल अस्पताल या विज्ञापनों तक सीमित नहीं रहेगी बल्कि खाने की थाली तक पहुंचेगी. सरकार का मानना है कि हर रोज की आदतों से छोटी-मोटी चेतावनियां भविष्य में बड़ी बीमारियों से बचा सकती हैं. अब फैसला आपका है कि सिर्फ जीभ के स्वाद के लिए खाना है या शरीर की जरूरत के मुताबिक.