हिंदू पौराणिक कथाओं में भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण द्वारा धारण किया गया सुदर्शन चक्र अपनी गति, सटीकता और दूर से ही विनाश करने की क्षमता के लिए जाना जाता है. यही विशेषताएं अब भारतीय वायुसेना के S-400 एयर डिफेंस सिस्टम में देखने को मिल रही हैं, जिसे आधिकारिक रूप से ‘सुदर्शन चक्र’ का नाम दिया गया है.
कई शहरों को बनाया था निशाना
7 और 8 मई की मध्यरात्रि को पाकिस्तान द्वारा किए गए ड्रोन और मिसाइल हमलों के जवाब में, भारतीय वायुसेना ने पहली बार इन अत्याधुनिक प्रणालियों को तैनात किया और हवाई खतरों को प्रभावी रूप से निष्क्रिय किया.
भारतीय सेना ने गुरुवार सुबह एक बयान में बताया, “पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर और पंजाब सहित कई शहरों जैसे अवंतिपुरा, श्रीनगर, पठानकोट, अमृतसर, जालंधर, भटिंडा और भुज को निशाना बनाते हुए सैन्य ठिकानों पर ड्रोन और मिसाइल से हमला किया. लेकिन इन सभी हमलों को हमारी एकीकृत एंटी-ड्रोन ग्रिड और एयर डिफेंस प्रणालियों ने नाकाम कर दिया.”
पाकिस्तान में किए कई ड्रोन अटैक
इसके जवाब में, भारत ने भी गुरुवार सुबह पाकिस्तान के कई एयर डिफेंस सिस्टम को निशाना बनाकर जवाबी कार्रवाई की. लाहौर में स्थित एयर डिफेंस सिस्टम को बर्बाद कर दिया. भारत ने 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकी हमले के बाद शुरू किए गए “ऑपरेशन सिंदूर” के अंतर्गत पाकिस्तान और पीओके में स्थित नौ आतंकी शिविरों पर प्रहार किया था. पाकिस्तान इस कार्रवाई से तिलमिलाया हुआ था और इसी के जवाब में उसने यह हवाई हमला किया, जिसे भारत ने मार गिराया.
S-400 ‘सुदर्शन चक्र’: भारत की हवाई ढाल
S-400 ट्रायंफ, जिसे रूस की अलमाज़-एंते कंपनी द्वारा विकसित किया गया है. विश्व की सबसे एडवांस लॉन्ग रेंज एयर डिफेंस सिस्टम में से एक है. यह सिस्टम एक साथ 36 लक्ष्यों को ट्रैक और नष्ट करने की क्षमता रखती है. इसकी फायर पॉवर 400 किलोमीटर तक है और यह 30 किलोमीटर की ऊंचाई तक उड़ रहे टारगेट को भी निशाना बना सकती है.
इसकी विशेषता यह है कि यह 4.8 किमी प्रति सेकंड की रफ्तार से आ रहे लक्ष्यों को भी इंटरसेप्ट कर सकती है. यह प्रणाली मोबाइल लॉन्चर्स पर आधारित होती है, जिससे इसे तेज़ी से तैनात और स्थानांतरित किया जा सकता है. इससे दुश्मन के लिए इसकी स्थिति का पता लगाना कठिन हो जाता है.
भारत ने 2018 में खरीदा था
भारत ने रूस से पांच स्क्वाड्रन खरीदने का 35,000 करोड़ रुपये का सौदा 2018 में किया था, जिनमें से तीन स्क्वाड्रन पहले ही परिचालन में हैं. बाकी दो स्क्वाड्रन 2026 तक सेना में शामिल हो जाएंगे.
S-400 की सफल तैनाती से भारत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह न केवल आंतरिक सुरक्षा को लेकर सजग है, बल्कि हवाई खतरों का जवाब देने में भी पूरी तरह सक्षम है. इसके अलावा, यह प्रणाली भविष्य में होने वाले किसी भी संभावित खतरे के खिलाफ एक प्रभावशाली प्रतिरोधक क्षमता प्रदान करती है.
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