भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव ने एक बार फिर दुनिया का ध्यान भारत की रक्षा क्षमताओं की ओर खींचा है. 7 मई 2025 को पाकिस्तान द्वारा भारत के कई शहरों पर किए गए ड्रोन हमलों को भारतीय वायुसेना के अत्याधुनिक एयर डिफेंस सिस्टम ने हवा में ही नष्ट कर दिया. इन हमलों के निशाने पर अमृतसर, जम्मू, पठानकोट, लुधियाना और भुज जैसे अहम शहर थे. इन खबरों के बीच s400 डिफेंस सिस्टम काफी चर्चा में रहा. ऐसे आज हम आपको इस खबर में बताएंगे कि S-400 डिफेंस सिस्टम कितना घातक है.
रक्षा डिफेंस की बड़ी डील
भारत ने अक्टूबर 2018 में रूस के साथ लगभग $5.43 बिलियन (₹40,000 करोड़) की लागत से पांच S-400 ट्रायम्फ रेजिमेंट खरीदने का समझौता किया था. यह डील भारत की अब तक की सबसे बड़ी और सबसे महंगी रक्षा खरीद में गिनी जाती है.
मनोहर पर्रिकर की निर्णायक भूमिका
तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने इस डील को हकीकत में बदलने में केंद्रीय भूमिका निभाई थी. दिसंबर 2015 में रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC) की अध्यक्षता करते हुए उन्होंने इस प्रस्ताव को मंजूरी दी थी. उनकी रणनीतिक सोच और दूरदर्शिता के चलते भारत को यह प्रणाली समय पर मिल सकी, जो आज देश की सुरक्षा का मजबूत स्तंभ बन चुकी है.
अमेरिका की धमकी और भारत का साहसी रुख
S-400 डील को लेकर अमेरिका ने भारत को CAATSA (Countering America's Adversaries Through Sanctions Act) के तहत प्रतिबंधों की चेतावनी दी थी. बावजूद इसके, भारत ने अपने राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देते हुए इस डील को आगे बढ़ाया. अमेरिका को भारत पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाना पड़ा.
आसमान से बरसते हर खतरे का जवाब
S-400 प्रणाली दुनिया की सबसे एडवांस एयर डिफेंस तकनीकों में से एक है. यह 400 किलोमीटर तक की रेंज में दुश्मन के हवाई हमलों को ट्रैक और नष्ट कर सकती है. इसमें अलग-अलग रेंज की मिसाइलें होती हैं, जो विभिन्न प्रकार के लक्ष्यों को एक साथ खत्म करने में सक्षम होती हैं. भारत को अब तक इस प्रणाली की तीन रेजिमेंट मिल चुकी हैं और बाकी दो रेजिमेंट्स के 2026 तक आ जाने की संभावना है.
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