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Robert Vadra Robert Vadra
रॉबर्ट वाड्रा ईडी दफ्तर पहुंच गए हैं. शिकोहपुर जमीन घोटाले के मामले में ईडी ने उन्हें तलब किया है. ईडी ने उन्हें दूसरी बार समन भेजा है. ईडी ने इससे पहले आठ अप्रैल को वाड्रा को समन भेजा था, लेकिन वे ईडी के सामने पेश नहीं हुए थे. दफ्तर जाते हुए वाड्रा ने कहा कि मेरे खिलाफ ईडी का इस्तेमाल किया जा रहा है. मुझे कुछ भी छिपाने की जरूरत नहीं है. मैं अपने हर सवालों का जवाब देता रहता हूं और देता रहूंगा. मैं जनता की आवाज को बुलंद करूंगा. मुझसे जो भी पूछा जाएगा, वह बताऊंगा.
#WATCH | Delhi: Businessman Robert Vadra marches from his residence to the ED office after being summoned in connection with a Gurugram land case, alleges 'political vendetta'.
— ANI (@ANI) April 15, 2025
He says, "Whenever I will speak up for people and make them heard, they will try to suppress me... I… pic.twitter.com/mRrRZedq6l
ईडी ने शिकोहपुर जमीन घोटाले मामले में रॉबर्ट वाड्रा को तलब किया है. ईडी को वाड्रा पर मनी लॉन्ड्रिंग का शक है. रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड को गुरुग्राम में 3.53 एकड़ जमीन 7.50 करोड़ रुपये की कीमत पर दी गई थी. इस पर कंपनी को कॉलोनी डेवलप करने के लिए कहा गया था.
#WATCH | Delhi: Businessman Robert Vadra marches from his residence to the ED office after being summoned in connection with a Gurugram land case. pic.twitter.com/3Nys0tbJzw
— ANI (@ANI) April 15, 2025
#WATCH | Delhi: Businessman Robert Vadra reaches the ED office after being summoned in connection with a Gurugram land case. pic.twitter.com/aCw5wvOCsW
— ANI (@ANI) April 15, 2025
ये है पूरा मामला
पूरा मामला साल 2008 का है. उस वक्त हरियाणा में भूपेंद्र हुड्डा सत्ता में थे. हरियाणा की सरकार ने 3.53 एकड़ जमीन में से 2.70 एकड़ जमीन पर कमर्शियल कॉलोनी डेवलप करने के लिए वाड्रा की कंपनी को लाइसेंस दिया था. हालांकि, कॉलोनी का विकास करने की बजाए कंपनी ने 2012 में जमीन को 58 करोड़ रुपये डीएलएफ यूनिवर्सल लिमिटेड को बेच दिया था. हरियाणा सरकार से जमीन कम कीमत पर लेकर डीएलएफ को अधिक कीमतों में जमीन बेचकर वाड्रा की कंपनी को करोड़ों रुपये का मुनाफा हुआ.
वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट हॉस्पिटेलिटी प्राइवेट लिमिटेड ने 18 सितंबर 2012 को सेल डील की मदद से जमीन को डीएलएफ यूनिवर्सल लिमिटेड को बेच दिया था. हालांकि, सरकार के टाउन एंड कंट्री प्लानिंग ने लाइसेंस को ट्रांसफर करने की फाइनल परमिशन नहीं दी.