जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में बच गए एक प्रोफेसर की कहानी तेजी से वायरल हो रही है. दरअसल, पहलगाम में हुए हमले में असम यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर की जान इसलिए बच गई क्योंकि उन्होंने कलमा पढ़ा था.असम विश्वविद्यालय के बंगाली विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर देबाशीष भट्टाचार्य ने जो बताया, वह रोंगटे खड़े कर देने वाला है.
कलमा पढ़ी तो बच गई जान
प्रोफेसर अपने परिवार के साथ बैसरान में घूमने आए थे. उन्होंने बताया कि वे एक पेड़ के नीचे परिवार समेत आराम कर रहे थे जब चारों ओर हलचल शुरू हुई. “मैंने सुना कि लोग आसपास कलमा पढ़ रहे हैं. उन्होंने ने आगे कहा कि मुझे नहीं पता क्यों, लेकिन मैंने भी धीरे-धीरे कलमा पढ़ना शुरू कर दिया"
मैंने कलमा पढ़ना शुरू किया
तभी एक आतंकी, जो सेना जैसी वर्दी में आया, उनके पास आकर और उनके बिल्कुल बगल में लेटे एक व्यक्ति को सिर में गोली मार दी. “उसने मेरी तरफ देखा और पूछा, ‘क्या कर रहे हो?’ मैं डर गया लेकिन मैंने और जोर से कलमा पढ़ना शुरू कर दिया. शायद मेरी किस्मत थी, वह मुझे छोड़कर चला गया,”
जैसे-तैसे पहुंचा होटल
उन्होंने बताया, "मौके ही पत्नी और बेटे को उठाया और वहां से भाग निकले. “हम एक पहाड़ी की ओर चढ़े, कांटेदार झाड़ियों को पार किया और लगभग दो घंटे तक चलते रहे. रास्ते में घोड़ों के पैरों के निशान देखे और उनका पीछा करते हुए आखिरकार एक घुड़सवार मिला, जिसकी मदद से हम होटल तक पहुंचे.”
26 लोगों की गई जान
बता दें कि इस आतंकी हमले में 26 लोगों की जान चली गई, जिनमें दो विदेशी नागरिक (एक यूएई और एक नेपाल से) भी शामिल थे. हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के छद्म संगठन ‘रेजिस्टेंस फ्रंट’ ने ली है. मारे गए लोगों में महाराष्ट्र, हरियाणा, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों के पर्यटक शामिल हैं. यह हमला न केवल कश्मीर में पर्यटन पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि धार्मिक कट्टरता और आतंकवाद की वैश्विक चुनौती को भी उजागर करता है.