नई दिल्ली कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर देशभर के दलित और वंचित समुदायों के छात्रों की शिक्षा संबंधी चुनौतियों को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की है. राहुल गांधी ने अपने पत्र में लिखा है कि देश के करीब 90% छात्र वंचित समुदायों से आते हैं और उनकी शिक्षा के मार्ग में दो प्रमुख बाधाएं हैं:
1. आवासीय छात्रावासों की बदहाल स्थिति
2. पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्तियों में भारी गड़बड़ी और देरी.
दरभंगा का उदाहरण, लेकिन समस्या देशव्यापी
राहुल गांधी ने बिहार के दरभंगा जिले स्थित आंबेडकर छात्रावास का हवाला देते हुए बताया कि वहां 6-7 छात्रों को एक कमरे में ठूंसकर रखा जाता है. छात्रावास में गंदे शौचालय, असुरक्षित पीने का पानी, भोजन की अव्यवस्था, और शैक्षणिक संसाधनों का अभाव जैसे गंभीर हालात हैं. उन्होंने इसे "मानव गरिमा के खिलाफ" बताते हुए व्यापक सुधार की जरूरत बताई.
छात्रवृत्ति योजना में गड़बड़ी, छात्रों को नहीं मिला हक
राहुल गांधी ने लिखा कि पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना भी लगातार विफल हो रही है. बिहार में यह योजना तीन वर्षों तक ठप रही, जिसके चलते 2021-22 में किसी भी छात्र को छात्रवृत्ति नहीं मिल सकी. 2022-23 में जहां 1.36 लाख दलित छात्रों को छात्रवृत्ति दी गई थी, वह संख्या 2023-24 में घटकर केवल 0.69 लाख रह गई. छात्रों ने शिकायत की है कि उन्हें जो राशि दी जाती है वह बेहद कम और अपमानजनक है, जिससे उनकी शिक्षा और जीवन दोनों पर असर पड़ रहा है.
राहुल गांधी की प्रधानमंत्री से दो मांगें
राहुल गांधी ने पत्र में सरकार से दो तात्कालिक कदम उठाने की अपील की:
1. छात्रावासों में बुनियादी सुविधाएं सुनिश्चित की जाएं – जिसमें स्वच्छता, भोजन, पुस्तकालय, इंटरनेट और शैक्षणिक संसाधन शामिल हों.
2. छात्रवृत्तियों का समय पर वितरण हो, उनकी राशि में वृद्धि की जाए और राज्य सरकारों के साथ समन्वय बनाकर उसका बेहतर क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जाए.
“वंचितों का विकास ही भारत का विकास”
पत्र के अंत में राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री से कहा: “भारत का भविष्य तभी उज्ज्वल होगा जब वंचित समुदायों के युवा शिक्षा और अवसरों में बराबरी पा सकें. मुझे विश्वास है कि आप इन मुद्दों को गंभीरता से लेंगे. मैं आपकी सकारात्मक प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा करता हूं.”