जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा जिले का त्रेहगाम गांव आतंकवाद और पाकिस्तान के खिलाफ सड़कों पर उतर आया है. खास बात है कि इस गांव को एक जमाने में अलगाववादी विचारधारा की जन्मस्थली माना जाता था. पाकिस्तान और आतंकवाद का विरोध करके ग्रामीणों ने एक नया इतिहास रच दिया है. ये वही गांव है, जहां जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) के संस्थापक मकबूल बट्ट का जन्म हुआ था. ये गांव लंबे वक्त तक आतंकियों के घुसपैठ रूट के रूप में चर्चित रहा है.
पहलगाम आतंकी हमले ने त्रेहगाम में भी आक्रोश पैदा कर दिया है. त्रेहगाम के स्थानीय नागरिकों ने पहली बार आतंक के खिलाफ खुले रूप में प्रदर्शन किया. उन्होंने काले कपड़े पहनकर, काले पट्टे बांधकर और आतंकवाद मुर्दाबाद के नारों के साथ आक्रोश जताया. पाकिस्तान और वैश्विक आतंकी हाफिज सईद के खिलाफ भी प्रदर्शनकारियों ने नारे लगाए. उसका पुतला भी जलाया गया. ये विरोध इसलिए भी खास है, क्योंकि इस क्षेत्र को कभी उग्रवादी गतिविधियों के गढ़ के रूप में माना जाता था.
स्थानीय लोगों की आवाज
प्रदर्शन में शामिल हुए एक लड़के ने कहा कि अब हम लोग और खामोश नहीं रहेंगे. हमको अपने बच्चों का भविष्य बचाना है. पाकिस्तान और उसके आतंकी एजेंडे को हम बर्दाश्त नहीं करेंगे. सुरक्षाबलों और प्रशासन ने शांतिपूर्वक प्रदर्शन संपन्न किया. अधिकारियों ने कहा कि इस बदलाव से इलाके की शांति के लिए बड़ा संकेत है.
राजनीतिक और सामाजिक माहौल को दर्शाता है
त्रेहगाम जैसे इलाकों में ऐसा जनआंदोलन जम्मू-कश्मीर के बदलते सामाजिक और राजनीतिक माहौल को दर्शाता है. लंबे समय के बाद स्थानीय लोग खुलकर आतंकवाद के खिलाफ मुखर हुए हैं. सुरक्षाबलों के खिलाफ ये मनोबल बढ़ाने वाला संदेश है.