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प्रियंका कक्कड़ (social media)
आम आदमी पार्टी ने चुनाव आयोग की ओर से चुनाव प्रक्रिया में की जा रही धोखाधड़ी के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार बताया है. ‘आप’ की मुख्य प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ का कहना है कि चुनाव आयोग की ‘वोट चोरी’ करने की बड़ा कारण कांग्रेस की खामोशी है. गुजरात में हमारे प्रत्याशी को हाउस अरेस्ट करने और चंडीगढ़ में अनिल मसीह की ओर से खुलेआम वोटों से छेड़छाड़ करने का मुद्दा उठाया गया तो कांग्रेस चुप रही. कांग्रेस महाराष्ट्र-कर्नाटक की बात तो कर रही है, लेकिन दिल्ली में ‘वोट चोरी’ का जिक्र नहीं करती. यह उसका दोहरापन दिखाता है. कांग्रेस की इसी खामोशी के चलते बिहार में एसआईआर के जरिए असली वोटर के नाम काटे जा रहे. नकली वोटर जोड़े जा रहे हैं.
चुनाव प्रक्रिया में धोखाधड़ी हुई: प्रियंका कक्कड़
मंगलवार को ‘‘आप’’ मुख्यालय पर प्रेसवार्ता कर प्रियंका कक्कड़ ने कहा कि जिस चुनाव प्रक्रिया में धोखाधड़ी हुई है, उसमें कांग्रेस का भी बहुत बड़ा हाथ है. कांग्रेस तब तक चुप रही, जब आम आदमी पार्टी ने बताया कि गुजरात में हमारे प्रत्याशी को हाउस अरेस्ट कर पोलिंग बूथ तक जाने की अनुमति नहीं दी गई. कांग्रेस उस समय भी चुप रही, जब ‘आप’ ने बताया कि कैसे चंड़ीगढ़ मेयर चुनाव में अनिल मसीह द्वारा वोट में छेड़छाड़ की गई. कांग्रेस तब भी कुछ नहीं बोली.
प्रियंका कक्कड़ ने कहा कि बिहार में एसआईआर के नाम पर बिहार में नकली वोटर जोड़ने और असली वोटर के नाम काटने का एक कानूनी तरीका निकाला गया है. बिहार में एसआईआर प्रक्रिया लागू की गई. बिहार के 38 में 28 जिले बाढ़ प्रभावित हैं, ऐसे जिलों में मानसून के दौरान डेढ़ महीने के अंदर ही बूथ लेवल ऑफिसर वहां पहुंच कर फार्म एकत्र कर लेता है. बिहार में साक्षरता दर सबसे कम है, बिहार के एक करोड़ लोग बिहार से बाहर रहते हैं. बिहार में सबसे कम प्रति व्यक्ति आय है और 40 फीसद लोग देहात में रहते हैं. ऐसे में एक बीएलओ जाकर उनकी नागरिकता जांच लेता है. जबकि नागरिकता जांचने का अधिकार सिर्फ केंद्र सरकार के पास है.
65 लाख लोगों के नाम काटे गए हैं
प्रिंयका कक्कड़ ने कहा कि यह बहुत चिंता की बात है कि चुनाव आयोग 8 अगस्त को प्रेसवार्ता कर बताया है कि 65 लाख लोगों के नाम काटे गए हैं. इनमें से 22 लाख लोगों की मौत हो चुकी है. जबकि 32 लाख लोगों का पता नहीं है और 7 लाख लोगों के डबल वोट हैं. लेकिन चुनाव आयोग यही बात 10 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में कहने से मना कर देता है. चुनाव आयोग सुप्रीम कोर्ट को बताने से इनकार कर देता है कि जिन 65 लाख लोगों के नाम काटे गए, वो कौन थे और किस वजह से नाम काटे गए? यह चुनाव की निष्ठा पर बहुत बड़ा सवाल खड़ा करता है. सरकारें आती-जाती रहेंगी, लेकिन चुनाव आयोग को पार्टी पॉलिटिक्स से ऊपर उठकर निष्पक्षता से अपने उद्देश्य पर चलना होगा. ताकि कोई भी मतदाता अपने वोट के अधिकार से वंचित न रह जाए. आखिर चुनाव आयोग 65 लाख लोगों के नाम दिखाने से क्यों कतरा रहा है.