G20 में पीएम मोदी की दमदार एंट्री, ट्रंप का बायकॉट, समिट में दिखेंगे कुछ अलग रंग

जोहांसबर्ग G20 समिट में पीएम मोदी तीन अहम सत्रों में वैश्विक आर्थिक विकास, क्लाइमेट एक्शन और AI नीति पर भारत का पक्ष रखेंगे, जबकि ट्रंप साउथ अफ्रीका पर आरोप लगाकर सम्मेल से बाहर हुए, जिससे नई कूटनीतिक बहस तेज हो गई.

जोहांसबर्ग G20 समिट में पीएम मोदी तीन अहम सत्रों में वैश्विक आर्थिक विकास, क्लाइमेट एक्शन और AI नीति पर भारत का पक्ष रखेंगे, जबकि ट्रंप साउथ अफ्रीका पर आरोप लगाकर सम्मेल से बाहर हुए, जिससे नई कूटनीतिक बहस तेज हो गई.

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Ravi Prashant
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जी20 समिट Photograph: (ANI)

साउथ अफ्रीका के जोहांसबर्ग में 21 से 23 नवंबर तक होने जा रहे G20 लीडर्स’ समिट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत की अगुवाई करेंगे. यह सम्मेलन इसलिए भी विशेष है क्योंकि लगातार चौथी बार G20 की मेजबानी ग्लोबल साउथ के किसी देश को मिली है. इस बार की थीम आर्थिक विकास, जलवायु संकट, AI तकनीक और संसाधनों की न्यायपूर्ण उपलब्धता जैसे मुद्दों पर केंद्रित रहेगी.

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तीन हिस्सों में होंगे कार्यक्रम

भारत की ओर से जारी आधिकारिक बयान के मुताबिक, समिट में कुल तीन प्रमुख सत्र होंगे और पीएम मोदी इन तीनों में हिस्सा लेकर भाषण देंग. इन सत्रों के मुख्य फोकस इस तरह होंगे. 

समावेशी और टिकाऊ आर्थिक विकास: वैश्विक व्यापार के नए रास्ते, कर्ज संकट, गरीब देशों के विकास की नई रणनीति और सभी के लिए समान अवसर पर चर्चा.

एक मजबूत वैश्विक व्यवस्था की तैयारी: आपदा प्रबंधन, जलवायु परिवर्तन से लड़ाई, ऊर्जा बदलाव और खाद्य सुरक्षा मॉडल को मजबूत करना.

सबके लिए न्यायपूर्ण भविष्य: क्रिटिकल मिनरल्स का बंटवारा, वैश्विक नौकरी के अवसर, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से जुड़ी नैतिक नीतियां और तकनीकी बराबरी का ढांचा.

जोहांसबर्ग यात्रा के दौरान पीएम मोदी कई देशों के शीर्ष नेताओं से द्विपक्षीय बातचीत भी कर सकते हैं. साथ ही, वह भारत-ब्राजील-दक्षिण अफ्रीका (IBSA) देशों के विशेष शिखर बैठक में भी हिस्सा लेंगे. इसे विकासशील देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी मजबूत करने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है.

ट्रंप ने किया G20 से किनारा

जहां दुनिया की 20 प्रमुख अर्थव्यवस्थाएं वैश्विक भविष्य पर चर्चा के लिए जुटेंगी, वहीं अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने साफ कर दिया है कि इस सम्मेलन में कोई भी अमेरिकी प्रतिनिधि शामिल नहीं होगा. ट्रंप ने यह फैसला दक्षिण अफ्रीका में कथित “श्वेत फार्मरों पर अत्याचार” का मुद्दा उठाते हुए किया. हालांकि साउथ अफ्रीकी सरकार और वहीं के श्वेत समुदाय के कई नेताओं ने इस दावे को झूठा और राजनीतिक प्रोपेगैंडा बताया है. इसी कारण ट्रंप को साउथ अफ्रीका और अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस ने “औपनिवेशिक मानसिकता” वाला हस्तक्षेप बताते हुए कड़ी आलोचना की है.

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