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PM Modi: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सिर झुकाकर मांगी माफी, जानें क्या है पूरा मामला

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग में गिरी शिवाजी महाराज की मूर्ति के मामले में माफी मांगी है. उन्होंने कहा कि मैं घटना पर सिर झुकाकर माफी मांगता हूं.

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Jalaj Kumar Mishra
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PM Modi

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chhatrapati Shivaji Maharaj Statue: महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग जिले में छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा गिरने के मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने माफी मांगी है. प्रतिमा ढहने पर उन्होंने कहा कि मैं सिर झुकाकर माफी मांगता हूं. प्रतिमा ढहने के मामले में शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी ने राज्य सरकार पर निशाना साधा था. कांग्रेस ने पूछा था कि क्या प्रधानमंत्री इस पर माफी मांगेंगे.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि छत्रपित शिवाजी महाराज मेरे लिए सिर्फ नाम नहीं है. वे मेरे अराध्य देव हैं. उनके चरणों में सिर झुकाकर मैं माफी मांगता हूं. महाराज के चरणों में माथा रखकर मैं माफी मांगता हूं. पीएम मोदी ने आगे कहा कि छत्रपति महाराज से प्रेरणा लेकर ही हम विकसित महाराष्ट्र और विकसित भारत के संकल्प पर आगे बढ़ रहे हैं. उन्होंने कहा कि पालघर में आज हमने जो विभिन्न विकास परियोजनाओं का उद्धाटन और शिलान्यास किया, वह इसी दिशा में ऐतिहासिक प्रयास है. 

2013 में प्रधानमंत्री उम्मीदवार बनते ही मैंने शिवाजी महाराज का आशीर्वाद लिया

प्रधानमंत्री ने कहा कि भाजपा ने 2013 में जब मुझे प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया था तो मैं सबसे पहले रायगढ़ किले में गया. मैंने वहां छत्रपति शिवाजी महाराज की समाधि के सामने बैठकर प्रार्थना की. मैंने राष्ट्र सेवा की नई यात्रा शिवाजी महाराज के आशीर्वाद से की.

हमारे संस्कार विपक्षी दलों जैसे नहीं

पीएम मोदी ने कहा कि हमारे संस्कार अलग हैं, हम उन लोगों की तरह नहीं हैं, जो आए दिन मां भारती के वीर सपूत वीर सावरकर को अनाप-शनाप बोलते हैं. वे धरती के लाल को अपमानित करते हैं. विपक्ष देशभक्तों की भावनाओं को कुचलता है. वीर सावरकर को अनाप-शनाप बोलने के बाद भी वे माफी मांगने को तैयार नहीं है. उन्हें पश्चाताप तक नहीं होता. प्रदेश की जनता उनके संस्कारों को पहचान चुकी है. 

यह है पूरा मामला

बता दें, मराठा साम्राज्य के संस्थापक शिवाजी महाराज की मूर्ति का अनावरण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल नौसेना दिवस के अवसर पर की थी. चार दिसंबर 2023 को अनावरित हुई मूर्ति महज आठ माह बाद 26 अगस्त की दोपहर को ही ढह गई. घटना पर विपक्षी दल ने महाराष्ट्र सरकार की आलोचना की थी.

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