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लेफ्ट (पीएम मोदी) मिडिल (पूर्व पीएम अटल बिहारी बाजपेयी) राइट ( प्रेसिडेंट पुतिन) Photograph: (X/@modiarchive)
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का गुरुवार को नई दिल्ली पहुंचना केवल 23वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन की शुरुआत नहीं है, बल्कि यह उन द्विपक्षीय संबंधों की निरंतरता को भी दर्शाता है जो दो दशकों से अधिक समय में विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी का रूप ले चुके हैं. पुतिन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच लगभग 24 वर्षों में विकसित हुई व्यक्तिगत नजदीकियां इस साझेदारी की फाउंडेशन मानी जाती है.
इस रिलेशन का प्रारंभिक चेप्टर साल 2001 में लिखा गया था, जब गुजरात के नव नियुक्त मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के साथ आधिकारिक रूस दौरे पर गए थे. उस समय की तस्वीरें आज भी इस ऐतिहासिक क्षण को जीवंत करती हैं, जिनमें मोदी, वाजपेयी और पुतिन को एक साथ देखा जा सकता है.
2001 की यात्रा में मोदी की सक्रिय भूमिका
यह यात्रा केवल औपचारिकता नहीं थी. उस दौर में मोदी ने रूस के अस्त्राखान प्रांत और गुजरात के बीच सहयोग प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किए, जिसमें पेट्रोकेमिकल, हाइड्रोकार्बन और व्यापार क्षेत्रों में सहभागिता को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया. पीएम मोदी ने कई बार इस बात को याद किया है कि राष्ट्रपति पुतिन ने उन्हें एक राज्य-स्तरीय नेता होने के बावजूद गंभीरता से सुना और खुलकर संवाद किया. इसी से दोनों नेताओं के बीच एक आपसी सम्मान और भरोसे का माहौल बना, जो आगे चलकर रणनीतिक रिश्तों की मजबूती में निर्णायक साबित हुआ.
2014 के बाद संबंधों में नई ऊर्जा
2014 में मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद दोनों देशों के बीच उच्चस्तरीय वार्ताओं की फ्रीक्वेंसी बढ़ी और वार्षिक शिखर प्रणाली ने सहयोग को संस्थागत रूप दिया. 2000 में स्थापित रणनीतिक साझेदारी को 2010 में विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी में उन्नत किया गया था, जो रक्षा, ऊर्जा और कूटनीति सहित कई क्षेत्रों में संबंधों की गहराई को दर्शाता है.
यूक्रेन युद्ध के बाद पश्चिमी प्रतिबंधों के बावजूद भारत-रूस संबंधों में निरंतरता बनी रही. भारत ने रियायती रूसी कच्चे तेल का आयात बढ़ाया और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर रूस की निंदा करने से परहेज किया, संवाद और कूटनीति पर जोर देने का रुख अपनाया. इस स्थिरता के पीछे दोनों नेताओं की व्यक्तिगत समझ को महत्वपूर्ण माना जाता है.
वर्तमान शिखर सम्मेलन की संभावनाएं
पुतिन की यह यात्रा दिसंबर 2021 के बाद उनकी पहली भारत यात्रा है और इससे परंपरागत क्षेत्रों से आगे बढ़कर सहयोग के नए आयाम खुलने की उम्मीद है. रक्षा सहयोग में S-400 त्रिउम्फ मिसाइल प्रणाली की आपूर्ति पूर्ण होने पर बातचीत महत्वपूर्ण रहेगी.
साथ ही कृषि, आईटी सेवाओं, व्यापार विस्तार और नागरिक परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग को नए स्तर पर ले जाने की तैयारी है. अगले दशक के लिए महत्वाकांक्षी व्यापार लक्ष्य तय किए जा रहे हैं ताकि द्विपक्षीय आर्थिक संबंध और सुदृढ़ हों. विशेषज्ञों के अनुसार मोदी और पुतिन के बीच लंबा व्यक्तिगत इतिहास भारत-रूस संबंधों की मजबूती और स्थिरता का सबसे बड़ा आधार है, जो तेज़ी से बदलते वैश्विक भू-राजनीतिक परिदृश्य में दोनों देशों को साथ बनाए रखता है.
The Modi-Putin relationship did not begin in 2014; its roots go back to 2001, when @narendramodi was Gujarat's Chief Minister and met Russian President #VladimirPutin in Moscow.
— Modi Archive (@modiarchive) December 4, 2025
Narendra Modi, then Gujarat's Chief Minister, accompanied Prime Minister Vajpayee to Russia for a… pic.twitter.com/akT5JjGdXu
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