ट्रंप के टैरिफ वॉर के बीच मोदी का वार...पुतिन-जेलेंस्की दोनों आएंगे भारत!

दिल्ली का कुतुब मीनार यूक्रेन के स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर यूक्रेन के झंडे के रंगों से जगमगा उठा. इसे भारत यूक्रेन दोस्ती की नई तस्वीर के रूप में देखा जा रहा है.

दिल्ली का कुतुब मीनार यूक्रेन के स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर यूक्रेन के झंडे के रंगों से जगमगा उठा. इसे भारत यूक्रेन दोस्ती की नई तस्वीर के रूप में देखा जा रहा है.

author-image
Mohit Sharma
New Update

भारत और रूस की दोस्ती दुनिया भर में मशहूर है. जब-जब अमेरिका ने भारत पर दबाव बनाने की कोशिश की है तब-तब रूस ने भारत का मजबूती से साथ दिया है. वहीं, भारत और यूक्रेन के रिश्ते भी संतुलित हैं. भारत की नीति शुरू से ही न्यूट्रल रही है. भारत साफ कहता आया है कि वह किसी एक पक्ष का समर्थन नहीं करेगा बल्कि शांति की दिशा में काम करेगा. इसी बीच भारत और यूक्रेन के रिश्तों में एक नया अध्याय जुड़ता दिखाई दे रहा है.

यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की को भारत आने का न्योता

Advertisment

शनिवार को दिल्ली का कुतुब मीनार यूक्रेन के स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर यूक्रेन के झंडे के रंगों से जगमगा उठा. इसे भारत यूक्रेन दोस्ती की नई तस्वीर के रूप में देखा जा रहा है. यूक्रेन के राजदूत एलेक्जेंडर ने कहा कि भारत और यूक्रेन के बीच रणनीतिक साझेदारी की दिशा में काम तेजी से आगे बढ़ रहा है. उन्होंने यह भी बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की को भारत आने का न्योता दिया है. दोनों देशों के बीच फिलहाल इस दौरे की तारीख तय करने पर चर्चा चल रही है. राजदूत का मानना है कि अगर जेलेंस्की भारत आते हैं तो ये दोनों देशों के रिश्तों के लिए एक बड़ी उपलब्धि होगी. दूसरी ओर साल के अंत में रूस के राष्ट्रपति पुतिन के भारत दौरे की भी चर्चा तेज है. कुछ हफ्ते पहले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने पुष्टि की थी कि पुतिन भारत आएंगे.

भारत और अमेरिका के बीच तनाव

हालांकि रूसी न्यूज़ एजेंसी ने रिपोर्ट दी है कि यह दौरा 2025 के अंत में होगा. अगर ऐसा होता है तो भारत एक ही साल में रूस और यूक्रेन दोनों देशों के राष्ट्रपतियों की मेजबानी कर सकता है जो भारत की संतुलित विदेश नीति का एक बड़ा उदाहरण होगी. पुतिन का दौरा ऐसे समय पर होगा जब भारत और अमेरिका के बीच तनाव बढ़ा हुआ है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस से भारत की तेल खरीद पर नाराजगी जताई है और भारत पर टेरिफ 50% तक बढ़ा दिया है. भारत ने इस फैसले को अनुचित बेवजह और तर्कहीन बताया है. विदेश मंत्रालय ने साफ कहा है कि भारत पीछे नहीं हटेगा. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी इस पर कड़ा रुख अपनाया है. उन्होंने कहा है कि भारत अमेरिका के बीच संभावित व्यापार समझौते की बातचीत में भारत अपनी शर्तों पर ही कायम रहेगा. सरकार किसानों और छोटे उद्योगों के हितों की रक्षा करेगी और किसी भी कीमत पर उनके नुकसान पर समझौता नहीं करेगी.

भारत अमेरिका रिश्तों के सामने तीन बड़ी चुनौतियां

जयशंकर ने कार्यक्रम में कहा कि फिलहाल भारत अमेरिका रिश्तों के सामने तीन बड़ी चुनौतियां हैं. पहली व्यापार और टैरिफ का विवाद. दूसरी रूस से कच्चे तेल की खरीद. तीसरी पाकिस्तान से जुड़े मामलों पर अमेरिका का दखल. उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की कार्यशैली पर भी टिप्पणी की है. जयशंकर ने कहा कि ट्रंप की विदेश नीति पहले के किसी भी अमेरिकी राष्ट्रपति से अलग है. वह खुलकर और सार्वजनिक रूप से विदेश नीति पर बयान देते हैं. यह बदलाव केवल भारत के लिए नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए नया अनुभव है. कुल मिलाकर भारत की विदेश नीति इस समय बेहद संतुलित और तृण दिखाई दे रही है. भारत एक तरफ रूस और यूक्रेन दोनों से संबंध मजबूत कर रहा है. वहीं दूसरी ओर अमेरिका के दबाव का भी डटकर जवाब दे रहा है. यह भारत की बढ़ती ताकत और स्वतंत्र सोच को दर्शाता है.

PM Narendra Modi Ukrainian President Zelenskyy
Advertisment