PM Modi France Visit: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज फ्रांस के दौरे पर रवाना होंगे. पीएम मोदी फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के निमंत्रण पर सोमवार से तीन दिवसीय फ्रांस की यात्रा पर जा रहे हैं. जहां वह मंगलवार (11 फरवरी) को राष्ट्रपति मैक्रों के साथ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) एक्शन समिट की सह-अध्यक्षता करेंगे. इसके साथ ही पीएम मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों भारत-फ्रांस सीईओ फोरम को भी संबोधित करेंगे. फ्रांस की यात्रा के बाद पीएम मोदी अमेरिका जाएंगे.
भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि देंगे पीएम मोदी
इस यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और फ्रांसीसी राष्ट्रपति मैक्रों के बीच प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता भी होगी. इसके बाद बुधवार यानी 12 फरवरी को दोनों देशों के राष्ट्राध्यक्ष प्रथम विश्व युद्ध में बलिदान देने वाले भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि देंगे. इसके साथ ही दोनों नेता संयुक्त रूप से मार्सेय में भारत के महावाणिज्य दूतावास का भी उद्घाटन करेंगे.
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से जुड़े खतरों पर होगी बात
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस समिट के दौरान आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की चुनौतियों और खतरों को लेकर दुनियाभर के कई नेता मंथन भी करेंगे. बता दें कि इस समिट का उद्देश्य इस बात का पता लगाना है कि एआई की क्षमता का उपयोग कैसे किया जाए, जिससे प्रौद्योगिकी से जुड़े तमाम जोखिमों का समाधान किया जा सके और इससे लाभ प्राप्त हो सके.
AI समिट में इन देशों के नेता करेंगे शिरकत
फ्रांस में होने वाली एआई समित में दुनियाभर के कई नेता शिरकत करेंगे. वहीं अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस पदभार ग्रहण करने के बाद अपनी पहली विदेश यात्रा पर फ्रांस पहुंचेंगे. जहां वह पेरिस एआई समिट में शिरकत करेंगे. इनके अलावा चीन के राष्ट्रपति शी चिनपिंग भी इस समिट के लिए अपने विशेष दूत को भेजेंगे. वहीं यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वान डेर लेयेन, ओपनएआई के सीईओ सैम आल्टमैन, माइक्रोसॉफ्ट के अध्यक्ष ब्रैड स्मिथ और गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई के अलावा करीब 80 देशों के अधिकारी और सीईओ इस समिट में भाग लेंगे.
एआई को लेकर अमेरिका और चीन के बीच टकराव
बता दें कि इससे पहले 2023 में ब्रिटेन में एआई शिखर सम्मेलन का आयोजन हुआ था. तब 28 देशों ने एआई से जुड़े जोखिमों से निपटने के लिए गैर-बाध्यकारी संकल्प लिया था. पेरिस में एआई शिखर सम्मेलन ऐसे समय में हो रहा है जब चीन के किफायती एआई टूल डीपसीक के चलते तकनीकी वर्चस्व को लेकर चीन और अमेरिका के बीच भूराजनीतिक टकराव की स्थिति पैदा हो गई है.