PM Modi Tamil Nadu Visit: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन दिनों तमिलनाडु के दौरे पर हैं. इस दौरान उन्होंने तूतीकोरिन में 4800 करोड़ रुपये से अधिक की विभिन्न विकास परियोजनाओं का शिलान्यास किया और उद्घाटन भी किया. पीएम मोदी रविवार को त्रिची होटल से एयरपोर्ट तक रोड शो करेंगे और हेलिकॉप्टर से अरियालुर जाएंगे. अरियालुर में पीएम मोदी गंगईकोंडा चोलपुरम में आदि तिरुवथिरई उत्सव के समापन समारोह में शामिल होंगे.
PM Modi Tamil Nadu Visit: पीएम मोदी के दौरे के मद्देनजर कड़ी है सुरक्षा
पीएम मोदी की यात्रा के मद्देनजर सुरक्षा व्यवस्था सख्त कर दी गई है. एयरपोर्ट परिसर और आसपास के इलाके में क्षेत्र को पांच स्तरीय सुरक्षा घेरा प्रदान किया गया है. त्रिची में ड्रोन और अनमैन्ड एरियल व्हीकल्स के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया गया है.
PM Modi Tamil Nadu Visit: इन सांस्कृतिक कार्यक्रम की होगी प्रस्तुति
बता दें, राजा राजेंद्र चोल प्रथम की जयंती के अवसर पर दक्षिण-पूर्व एशिया में उनके ऐतिहासिक समुद्री अभियान के 1000 वर्ष पूरे होने और गंगईकोंडा चोलपुरम मंदिर के निर्माण आरंभ होने के उपलक्ष्य में आदि तिरुवथिरई उत्सव मनाया जा रहा है. महोत्सव में थप्पट्टम, थेरुकुथु, कावड़ी और करगम जैसे लोकनृत्य के साथ-साथ भरतनाट्यम और नाट्यकला की प्रस्तुति भी होगी. महोत्सव के समापन दिवस कार्यक्रम में पीएम मोदी, तमिलनाडु के राज्यपाल आर.एन. रवि, केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत तथा सूचना एवं प्रसारण मंत्री और संसदीय कार्य राज्य मंत्री डॉ. एल. मुरुगन के साथ कार्यक्रम में शामिल होंगे.
PM Modi Tamil Nadu Visit: पीएम मोदी वाराणसी के गंगा जल से भरा मटका भेंट करेंगे
गंगईकोंडा चोलपुरम विकास परिषद ट्रस्ट के अध्यक्ष आर. कोमागन का कहना है कि पीएम मोदी इस दौरान, राजा राजेंद्र चोल के सम्मान में एक स्मारक सिक्का जारी करेंगे. गंगईकोंडा चोलपुरम मंदिर के पुजारियों को पीएम मोदी वाराणसी के गंगा जल से भरा एक घड़ा भी सौंपेंगे. तमिलनाडु के विभिन्न शैव मठों के प्रमुख भी कार्यक्रम में भाग लेंगे. उम्मीद है कि करीब 30 शैव मठ प्रमुख और साधु कार्यक्रम में शिरकत करेंगे.
PM Modi Tamil Nadu Visit: राजेंद्र चोल प्रथम का दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया में प्रभुत्व
राजेंद्र चोल प्रथम के नेतृत्व में चोल साम्राज्य ने दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया में अपना प्रभुत्व स्थापित किया था. लगभग 1,000 वर्ष बाद गंगा के मैदानों में विजयी अभियान के बाद, उन्होंने बृहदीश्वर मंदिर, चोलगंगम नाम के विशाल झील के साथ-साथ गंगईकोंडा चोलपुरम का निर्माण कराया था.