Pahalgam Terrorist Attack: जम्मू-कश्मीर में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के बाद गृह मंत्रालय के नए निर्देशों के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) से आए कुछ नागरिकों को वापस भेजने की प्रक्रिया शुरू की गई है. यह कदम उन 150 से अधिक महिलाओं के भविष्य को संकट में डाल रहा है जो साल 2010 में भारत आई थी.
अवैध रूप से रह रहे हैं पाकिस्तानी
इन महिलाओं ने पिछले कई वर्षों में भारतीय नागरिकों से विवाह कर जीवन शुरू किया और अब उनका सामाजिक जीवन पूरी तरह यहीं स्थापित हो चुका है. इनमें से कई के पास न तो वैध पासपोर्ट है, न ही वापसी का कोई ठिकाना. बता दें कि बांदीपोरा निवासी मोहम्मद असलम की पत्नी शाजिया, जो 1999 में PoK से विवाह के बाद भारत आई थीं, अब वापसी के आदेशों से परेशान हैं. असलम ने बताया कि शाजिया के माता-पिता की मृत्यु हो चुकी है और अब उसका वहां कोई सहारा नहीं है.
सीआरपीएफ के जवान से शादी
हाल ही में पुंछ के मेंढर सेक्टर से 11 पाकिस्तानी नागरिकों को वापस भेजा गया, जिसमें मीनल खान भी शामिल थीं. मीनल ने हाल ही में सीआरपीएफ के जवान मुनीर खान से ऑनलाइन मुलाकात के बाद निकाह किया था. उनका वीज़ा मार्च में खत्म हो गया, जिसके बाद उन्हें देश छोड़ने को कहा गया.
कश्मीरी नेताओं ने किया विरोध
राजनीतिक दलों ने इस फैसले की आलोचना करते हुए सरकार से पुनर्विचार की मांग की है. पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने इसे अमानवीय करार देते हुए कहा कि दशकों से भारत में रह रहीं इन महिलाओं को अब वापस भेजना भावनात्मक रूप से क्रूर है. सीपीआई (एम) नेता तारिगामी ने कहा कि ये महिलाएं लंबे समय से शांति से रह रही हैं और समाज में योगदान दे रही हैं.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट
कानूनी विशेषज्ञों ने भी इस मुद्दे पर सवाल उठाए हैं, खासकर 1971 के एक हाई कोर्ट के फैसले के संदर्भ में जिसमें कहा गया था कि यह केवल भारत के एक हिस्से से दूसरे हिस्से में यात्रा है. अब यह मांग जोर पकड़ रही है कि मानवीय आधार पर पुनर्विचार हो और परिवारों को टूटने से बचाया जाए.
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