भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव एक बार फिर उस स्तर तक पहुंच गया, जहां सिर्फ एक गलत कदम बड़े युद्ध में बदल सकता था. 8 से 10 मई के बीच, भारतीय वायुसेना ने “ऑपरेशन सिंदूर” के तहत पाकिस्तान और पीओके में मौजूद नौ प्रमुख आतंकी अड्डों पर सटीक हमले किए. यह कार्रवाई जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में की गई, जिसमें 26 निर्दोष नागरिकों की जान गई थी.
11 बेस उड़ाए तो हिल गया पाकिस्तान
आईएएफ ने इस बहुपक्षीय अभियान में न केवल आतंकी ठिकानों को तबाह किया, बल्कि पाकिस्तान की वायुसेना की युद्ध क्षमता को भी गंभीर नुकसान पहुंचाया. रिपोर्ट्स के मुताबिक, पाकिस्तान के 11 सैन्य एयरबेस, जिनमें नूर खान, रफीकी, मुरिद, सुक्कुर, सियालकोट, पसूर, चुनीयां, सर्गोधा, स्कर्दू, भोलारी और जैकबाबाद शामिल हैं. इन हमलों में F-16 और JF-17 फाइटर जेट्स से लैस अड्डों पर खास फोकस किया गया.
भारत के टारगेट पर मुख्य दो ठिकाने
बहरहाल, दो प्रमुख आतंकी अड्डे जैश-ए-मोहम्मद का बहावलपुर स्थित ‘मरकज़ सुब्हान अल्लाह’ और लश्कर-ए-तैयबा का मुरिदके स्थित ‘मरकज़ तैयबा’भारतीय हमलों के केंद्र में रहे. बहावलपुर स्थित यह ठिकाना 2015 से जैश का मुख्य ट्रेनिंग सेंटर और ऑपरेशनल हेडक्वार्टर है, जहां पुलवामा हमले जैसी साजिशें रची जाती थीं. इसी स्थान पर मसूद अजहर, अब्दुल रऊफ असगर और मौलाना अमार समेत कई आतंकी परिवार रहते हैं.
यहां हर साल करीब एक हजार आतंकी होते हैं तैयार
वहीं, मुरिदके का मरकज़ तैयबा 2000 से लश्कर का प्रमुख ट्रेनिंग हब रहा है, जहां हर साल करीब 1000 छात्र जिहादी प्रशिक्षण लेते हैं. इन ठिकानों पर हमलों के बाद पाकिस्तान की बौखलाहट और बढ़ गई और उसने भारत के सैन्य ठिकानों व सीमा से लगे इलाकों में ड्रोन और तोपों से जवाबी कोशिश की.
फिर किया सीजफायर का उल्लंघन
हालांकि, शनिवार को भारत-पाक के बीच संघर्षविराम की घोषणा हुई, लेकिन कुछ ही घंटों बाद पाकिस्तान ने एलओसी और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर फिर ड्रोन भेजकर उस समझौते का उल्लंघन कर दिया. रविवार की रात पहली बार शांति देखी गई, लेकिन सवाल यह है कि यह शांति कितनी टिकाऊ होगी?
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