Pahalgam Terror Attack: पता चल गया है आतंकियों ने कहां छिपाए थे हथियार, NIA जांच में सामने आया उस काले दिन का सच

पहलगाम आतंकी हमले की जांच कर रही एनआईए की रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं. आतंकियों ने अपने हथियार कहां छिपाए थे और कहां से आए थे. इसको लेकर भी जानकारी सामने आई है.

पहलगाम आतंकी हमले की जांच कर रही एनआईए की रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं. आतंकियों ने अपने हथियार कहां छिपाए थे और कहां से आए थे. इसको लेकर भी जानकारी सामने आई है.

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Dheeraj Sharma
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NIA Investigation On Pahalgam Terror Attack

Pahalgam Terror Attack: जम्मू-कश्मीर के हंसते खेलते पहलगाम में हुए उस आतंकी हमले ने कई निर्दोष पर्यटकों को मौत की नींद सुला दिया. उस काले दिन आतंकियों ने अपने नापाक इरादों से न सिर्फ लोगों को मारा बल्कि उनके धर्म के बारे में पूछकर उनकी जान ली. हालांकि उस काले दिन क्या-क्या हुआ. कैसे इन आतंकियों ने अपने हथियार छिपाए और कहां से आए. इसको लेकर नेशनल इन्वेस्टिगेशन की टीम ने अपनी शुरुआती जांच पूरी कर ली है. एक दिन पहले एनआईए के डीजी घाटी पहुंचे थे. उन्होंने न सिर्फ पहलगाम का मुआयना किया बल्कि कई इलाकों में पहुंचे. अब एनआईए ने अपनी जांच में कई अहम खुलासे किए हैं. इसकी रिपोर्ट जल्द ही गृहमंत्रालय को सौंप दी जाएगी. 

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100 से ज्यादा ठिकानों पर छापे 186 लोगों को हिरासत में लिया

22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम स्थित बैसरन घाटी में हुआ आतंकी हमला देश ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक दर्दनाक और चौंकाने वाला क्षण बन गया. इस बर्बर हमले में 26 निर्दोष पर्यटकों की जान चली गई, जबकि 20 से अधिक लोग गंभीर रूप से घायल हो गए. राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की प्राथमिक जांच में जो तथ्य सामने आए हैं, उन्होंने पाकिस्तान की आतंकी नीतियों की एक बार फिर पोल खोल दी है.

एनआईए ने एक दो नहीं बल्कि 100 से ज्यादा ठिकानों पर छापेमारी की है औऱ 186 लोगों को पूछताछ के आधार पर हिरासत में ले लिया गया है.  

हमले की साजिश और पाकिस्तान का हाथ

NIA की ओर से जारी की गई प्रारंभिक रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से बताया गया है कि इस हमले की योजना पाकिस्तान के आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा, उसकी खुफिया एजेंसी ISI और पाकिस्तानी सेना के साझा सहयोग से बनाई गई थी. हमले की साजिश लश्कर के हेडक्वार्टर में ISI के निर्देश पर रची गई, जिसमें पाकिस्तान के अधिकृत कश्मीर (POK) में बैठे आतंकियों को हमले को अंजाम देने की जिम्मेदारी दी गई.

जांच में सामने आया है कि हमले में शामिल आतंकवादी अपने पाकिस्तानी हैंडलर्स के लगातार संपर्क में थे और उन्हें वहां से न केवल दिशा-निर्देश बल्कि फंडिंग और हथियारों की आपूर्ति भी की जा रही थी. यह हमला सिर्फ एक आतंकी कार्रवाई नहीं, बल्कि एक सुनियोजित अंतरराष्ट्रीय साजिश थी, जिसका मकसद भारत की आंतरिक सुरक्षा को चोट पहुंचाना और कश्मीर घाटी में भय का माहौल पैदा करना था.

आतंकियों की पहचान और सहयोगियों की भूमिका

NIA की रिपोर्ट में हमले में शामिल प्रमुख आतंकियों की पहचान हाशिम मूसा और अली उर्फ तल्हा भाई के रूप में हुई है। दोनों आतंकवादी पाकिस्तान के नागरिक हैं और लश्कर-ए-तैयबा से वर्षों से जुड़े हुए हैं। इनकी मदद कश्मीर में रहने वाले आदिल ठोकर नामक एक स्थानीय व्यक्ति ने की थी, जो लश्कर का सक्रिय सहयोगी बताया जा रहा है।

रिपोर्ट में Over Ground Workers (OGWs) की भूमिका भी उजागर हुई है. ये वे स्थानीय लोग होते हैं जो आतंकियों को हर तरह की मदद मुहैया कराते हैं—जैसे छिपने की जगह, राशन, हथियारों का ट्रांसपोर्ट, मार्गदर्शन, और सुरक्षा एजेंसियों की गतिविधियों की जानकारी. इस हमले की जांच के दौरान अब तक 150 से अधिक स्थानीय लोगों के बयान दर्ज किए जा चुके हैं, जिनमें से कई पर OGW के रूप में संलिप्तता के ठोस प्रमाण मिले हैं.

तकनीकी और फॉरेंसिक जांच में मिले साक्ष्य

NIA की टीम ने हमले के स्थान की 3D मैपिंग और घटनाक्रम का रिक्रिएशन किया, जिससे आतंकियों के मूवमेंट और हमले की रणनीति को बेहतर ढंग से समझा जा सका. जांच में यह भी सामने आया कि आतंकियों ने हथियारों को बैसरन घाटी के नजदीक बेताब घाटी में पहले से छिपाकर रखा था. मौके से बरामद खाली कारतूस और अन्य फॉरेंसिक साक्ष्यों को विश्लेषण के लिए फॉरेंसिक साइंस लैब भेजा गया है, जिनके नतीजों से जांच को और मजबूती मिलने की उम्मीद है.

अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की तैयारी

NIA के महानिदेशक के नेतृत्व में तैयार की गई इस रिपोर्ट को जल्द ही केंद्रीय गृह मंत्रालय को सौंपा जाएगा. इसके आधार पर भारत सरकार पाकिस्तान के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र (UN), फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कार्रवाई की मांग करेगी. भारत इन मंचों पर पाकिस्तान की आतंकी फंडिंग और सैन्य समर्थन के पुख्ता प्रमाण पेश करेगा, ताकि वैश्विक स्तर पर उस पर दबाव बनाया जा सके.

बैसरन घाटी में हुआ यह आतंकी हमला न सिर्फ निर्दोष नागरिकों के जीवन पर हमला था, बल्कि यह भारत की संप्रभुता और सुरक्षा व्यवस्था को चुनौती देने वाली साजिश थी. NIA की रिपोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि यह महज एक आतंकी कार्रवाई नहीं, बल्कि एक सीमापार प्रायोजित युद्ध की शुरुआत थी. अब जिम्मेदारी भारत सरकार की है कि वह इस रिपोर्ट के आधार पर न केवल दोषियों को सजा दिलवाए, बल्कि पाकिस्तान को वैश्विक स्तर पर बेनकाब कर कठोर कार्रवाई के लिए प्रेरित करे.

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