Operation Sindoor ने बढ़ाई देसी रक्षा उपकरणों की मांग,DAD कार्यक्रम में बोले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह

राजनाथ सिंह ने कहा कि रक्षा खर्च को केवल व्यय नहीं, बल्कि एक आर्थिक निवेश के रूप में देखा जाना चाहिए, जिसका देश की अर्थव्यवस्था पर कई गुना असर होता है। उन्होंने कहा ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारतीय रक्षा हथियारों की मांग बढ़ी है.

राजनाथ सिंह ने कहा कि रक्षा खर्च को केवल व्यय नहीं, बल्कि एक आर्थिक निवेश के रूप में देखा जाना चाहिए, जिसका देश की अर्थव्यवस्था पर कई गुना असर होता है। उन्होंने कहा ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारतीय रक्षा हथियारों की मांग बढ़ी है.

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Madhurendra Kumar
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Rajnath Singh On Operation Sindoor

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को नई दिल्ली में रक्षा लेखा विभाग (DAD) की कंट्रोलर्स कॉन्फ्रेंस 2025 को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय सेना ने जो साहस दिखाया और देश में बने उपकरणों की जो ताकत सामने आई, उससे विश्व में हमारे स्वदेशी रक्षा उत्पादों की मांग और सम्मान बढ़ा है।

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उन्होंने कहा कि आज दुनिया भारतीय रक्षा क्षेत्र को नए नजरिए से देख रही है। इसलिए अब रक्षा लेखा विभाग की भूमिका केवल नियंत्रक की नहीं, बल्कि निजी क्षेत्र की भागीदारी के साथ एक सहयोगी की होनी चाहिए।

रक्षा खर्च को समझें निवेश के रूप में

राजनाथ सिंह ने कहा कि रक्षा खर्च को केवल व्यय नहीं, बल्कि एक आर्थिक निवेश के रूप में देखा जाना चाहिए, जिसका देश की अर्थव्यवस्था पर कई गुना असर होता है। उन्होंने कहा कि पहले रक्षा बजट को अर्थव्यवस्था से अलग समझा जाता था, लेकिन अब यह आर्थिक वृद्धि का एक प्रमुख स्रोत बन चुका है।

उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर तेजी से बढ़ रहा है। अब वे उपकरण भी भारत में बनाए जा रहे हैं, जिन्हें पहले बाहर से मंगाना पड़ता था।

शांति का समय भ्रम है, तैयार रहना ज़रूरी

रक्षा मंत्री ने कहा कि शांति का समय केवल एक भ्रम होता है। ऐसे समय में भी हमें संभावित संकटों के लिए तैयार रहना चाहिए। किसी भी समय हालात बदल सकते हैं, इसलिए हमारी वित्तीय और ऑपरेशनल व्यवस्था को लचीला और तेज़ होना चाहिए।

रक्षा क्षेत्र में नए अवसर

उन्होंने बताया कि वर्ष 2024 में दुनिया का सैन्य खर्च 2.7 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच गया है, जिससे भारत के लिए रक्षा उत्पादों के निर्यात और नवाचार के बड़े अवसर बने हैं। उन्होंने कहा कि हमारा प्रयास है कि भारत में ही बड़े इंजन और आधुनिक उपकरणों का निर्माण हो।

नई योजनाएं और डिजिटल बदलाव

रक्षा मंत्री ने हाल ही में शुरू की गई एक लाख करोड़ रुपये की अनुसंधान, विकास और नवाचार (RDI) योजना का जिक्र किया और कहा कि इससे रक्षा क्षेत्र में स्टार्टअप, एमएसएमई और निजी कंपनियों को बढ़ावा मिलेगा।

उन्होंने रक्षा मंत्रालय की डिजिटल पहल ‘स्पर्श’ की सराहना की, जिसके जरिए अब 32 लाख से अधिक रक्षा पेंशनरों को पारदर्शी और फेशलेस पेंशन प्रणाली से जोड़ा गया है।

गंभीर जिम्मेदारी और सुधार की जरूरत

राजनाथ सिंह ने कहा कि विभाग की नई पहचान “चुस्त, सतर्क और अनुकूल” सिर्फ एक नारा नहीं, बल्कि आज के समय की जरूरत है। उन्होंने आंतरिक मूल्यांकन के जरिए सुधार करने की अपील की और कहा कि एक छोटी सी गलती भी सेना को आवश्यक संसाधन मिलने में बाधा बन सकती है।

सम्मेलन के अन्य बिंदु

इस मौके पर रक्षा वित्त एवं अर्थव्यवस्था पर विजन डॉक्युमेंट, नया मिशन स्टेटमेंट, रक्षा लेखा संहिता और मार्केट इंटेलिजेंस रिपोर्ट 2025 का दूसरा संस्करण जारी किया गया।

इस कार्यक्रम में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, थल सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी, वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह, नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश त्रिपाठी, रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह, डीआरडीओ प्रमुख डॉ. समीर वी. कामत और अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहे।

रक्षा मंत्री ने सभी से आह्वान किया कि वे सतर्क, चुस्त और समय के अनुसार ढलने वाले बनें ताकि देश की सुरक्षा और आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को पूरा किया जा सके।

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