Operation Sindoor 2.0: इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर क्षमता भविष्य की जरूरत, इन कारणों से भारत के लिए काफी अहम

Operation Sindoor 2.0: ऑपरेशन सिंदूर के पहले चरण में भारत को सीमा पार से आने वाले ड्रोन अटैक और मिसाइल हमलों  को रोकने में आंशिक सफलता मिली. इसके बाद से इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर की क्षमता बढ़ाना जरूरत बन चुका है. 

Rahul Dabas & Mohit Saxena
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operation sindoor 2.0

operation sindoor (social media)

Operation Sindoor 2.0: ऑपरेशन सिंदूर के पहले चरण के दौरान भारत ने सीमा पार से आने वाले ड्रोन और मिसाइल हमलों को रोकने में आंशिक सफलता प्राप्त की, लेकिन चीन और तुर्की जैसे देशों से प्राप्त अत्याधुनिक तकनीकों के कारण कई चुनौतियां सामने आईं. विशेष रूप से BeiDou जैसे सैटेलाइट नेविगेशन सिस्टम और रेडियो फ्रीक्वेंसी पर आधारित नियंत्रण प्रणालियों को जाम करने में सीमित सफलता मिली. इससे यह स्पष्ट हो गया कि भारत को अपनी इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर (EW) क्षमता को भविष्य की जरूरतों के अनुरूप उन्नत करना अनिवार्य है.

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मुख्य चुनौतियां

1. चीन के BeiDou सिस्टम को जाम करने की क्षमता का अभाव.

2. GPS आधारित जैमिंग पूर्णतः प्रभावी नहीं रही.

3. RF जैमर सीमित रेंज और दिशानिर्देशन की समस्याओं से जूझ रहे थे.

4. स्वदेशी EW सूट का सीमित तैनाती और परीक्षण.

5. ड्रोन और मिसाइल जैसे हवाई खतरों के लिए एकीकृत प्रतिक्रिया तंत्र की जरूरत

भविष्य की रणनीतिक योजना

1. SNS Jammer (Satellite Navigation System Jammer) विकास

2. लक्ष्य: सभी प्रमुख वैश्विक नेविगेशन सिस्टम (BeiDou, Galileo, GLONASS, GPS, QZSS) को प्रभावी रूप से जाम करना.

3. प्रगति: Accord Software & Systems को DRDO के सहयोग से SNS Jammer विकसित करने का कार्य सौंपा गया है.

4. विशेषता: केवल भारत का NavIC सिस्टम सक्रिय रहेगा, शेष सभी विदेशी पोजिशनिंग सिस्टम बाधित होंगे.

5. रेडियो फ्रीक्वेंसी जैमर का उन्नयन: दिशा-विशिष्ट, लंबी दूरी और स्वचालित लक्ष्य पहचान.

6. दुश्मन के UAV, मिसाइल कंट्रोल और कम्युनिकेशन चैनल्स को पूरी तरह से निष्क्रिय करना ,इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर का वायु रक्षा प्रणाली से एकीकरण.

BEL और DRDO द्वारा विकसित नए EW सूट को भारत की वायु रक्षा प्रणाली (Air Defence Command) के साथ जोड़ना, जिससे टारगेट तक पहुंचने से पहले ही ड्रोन और मिसाइल को दिशाहीन करना संभव होगा. इसमें स्वदेशी इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सूट का विकास और तैनाती, DRDO के सहयोग से Indigenous EW Platform जैसे "Shakti" और "Samyukta" प्लेटफॉर्म्स का उन्नयन. 

मोबाइल EW यूनिट्स: सीमावर्ती इलाकों में तेज़ी से तैनात की जा सकेंगी.

तकनीकी दृष्टिकोण:

 प्रणाली                वर्तमान स्थिति                         विकासाधीन समाधान

GPS Jammer        सीमित प्रभाव                         मल्टी-बैंड जामिंग
BeiDou Blocker      अनुपलब्ध                          SNS Jammer द्वारा समाधान
RF Jammer           मध्यम दूरी                      दिशा-विशेष और लंबी दूरी क्षमता
Drone Jammer      आंशिक सफलता           AI-आधारित स्वचालित पहचान प्रणाली

नई पीढ़ी की इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर प्रणाली की ओर अग्रसर 

इससे दुश्मन के हथियारों की सटीकता घटेगी और सीमा सुरक्षा प्रणाली अधिक प्रभावी बनेगी साथ ही भारत की तकनीकी आत्मनिर्भरता में वृद्धि होगी. आक्रामक इलेक्ट्रॉनिक युद्ध क्षमता का विकास संभव होगा.ऑपरेशन सिंदूर 2.0 के तहत भारत एक नई पीढ़ी की इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर प्रणाली की ओर अग्रसर है. BeiDou जैसे विदेशी पोजिशनिंग सिस्टम को बाधित करने की तकनीकी क्षमता भारत को  चीन और पाकिस्तान जैसे विरोधियों पर निर्णायक बढ़त दे सकती है. स्वदेशी समाधान, निजी कंपनियों और रक्षा अनुसंधान संस्थानों के संयुक्त प्रयासों से भारत भविष्य में इलेक्ट्रॉनिक युद्ध क्षेत्र में एक प्रमुख शक्ति के रूप में उभर सकता है.

indian-army Operation Sindoor
      
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