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Feviquick Photograph: (Social Media)
ओडिशा के कंधमाल जिले के फिरिंगिया ब्लॉक में स्थित सलागुड़ा सेबाश्रम स्कूल में एक बेहद चौंकाने वाली और दर्दनाक घटना सामने आई है. स्कूल के हॉस्टल में रात को सो रहे 8 छात्रों की आंखों में उनके ही कुछ सहपाठियों ने खतरनाक फेवीक्विक चिपका दिया. इसके कारण सभी 8 छात्र गंभीर रूप से घायल हो गए और उनकी आंखें तक नहीं खुल रही हैं. फेवीक्विक एक चिपकाने वाला बेहद मजबूत केमिकल होता है, जो त्वचा और आंखों के लिए बेहद खतरनाक है.
छात्रों की आंखों को नुकसान पहुंचा
घटना के बाद सभी 8 बच्चों को पहले नजदीकी गोछापड़ा मेडिकल में भर्ती कराया गया, लेकिन हालत गंभीर होने के कारण तुरंत उन्हें फुलबानी जिला मुख्य अस्पताल रेफर किया गया. वहां डॉक्टर्स लगातार इलाज में जुटे हैं. 8 बच्चों में से 7 अभी भी जिला अस्पताल में इलाजरत हैं. एक छात्र की हालत में सुधार होने के बाद उसे डिस्चार्ज कर दिया गया है. इलाज में पता चला है की छात्रों की आंखों को नुकसान पहुंचा है, लेकिन समय पर इलाज मिलने से स्थायी अंधापन की संभावना कम है.
जिला प्रशासन ने तुरंत सख्त कदम उठाए
घटना सामने आते ही जिला प्रशासन ने तुरंत सख्त कदम उठाए हैं. सेबाश्रम स्कूल के प्रधानाध्यापक मनोरंजन साहू को निलंबित कर दिया गया है. घटना के दिन स्कूल के प्रधानाध्यापक अनुपस्थित थे. इसी कारण यह लापरवाही हुई. बच्चों की सुरक्षा में चूक कैसे हुई, हॉस्टल सुपरिन्टेंडेंट और वार्डन की भूमिका क्या रही, इन सभी बिंदुओं की जांच की जा रही है. फिलहाल यह पता लगाया जा रहा है कि फेवीक्विक लगाने वाला छात्र कौन था और उसने यह हरकत क्यों की.
जिला कलेक्टर ने जांच और कार्रवाई तेज कर दी
अब सवाल उठते हैं कि जब हॉस्टल में वार्डन, सुपरिन्टेंडेंट और शिक्षक मौजूद होते हैं तो फिर ऐसी घटना कैसे हो गई? बच्चों के पास फेवीक्विक जैसा केमिकल कैसे पहुंचा? स्कूल प्रशासन की निगरानी में इतनी बड़ी लापरवाही कैसे हुई? फिलहाल कंधमाल के जिला कल्याण अधिकारी ने खुद अस्पताल जाकर बच्चों की स्थिति का जायजा ले चुके हैं. जिला कलेक्टर ने जांच और कार्रवाई तेज कर दी है . इस घटना से पूरे इलाके में चिंता और आक्रोश का माहौल है. लोगों में रोष है कि आदिवासी बच्चों के लिए बनाए गए सेबाश्रम जैसे स्कूलों में अगर ऐसे हादसे होंगे तो बच्चों का भविष्य अंधकारमय हो जाएगा.
यह घटना सिर्फ एक शरारत नहीं बल्कि बच्चों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ है. प्रशासन को ऐसी घटनाओं को दोबारा होने से रोकना चाहिए और इसके लिए सख्त नियम बनाए जाने चाहिए जिससे बच्चे सुरक्षित रह सकें.