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नहीं रहे न्यूक्लियर साइंटिस्ट राजगोपाला चिदंबरम Photograph: (File Photo)
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Rajagopala Chidambaram Passes Away: परमाणु वैज्ञानिक राजगोपाल चिदंबरम का शनिवार को 88 साल की उम्र में निधन हो गया. उन्होंने मुंबई के एक अस्पताल में आखिरी सांस ली. पीएम मोदी ने उनके निधन पर दुख जताया है.
नहीं रहे न्यूक्लियर साइंटिस्ट राजगोपाला चिदंबरम Photograph: (File Photo)
Rajagopala Chidambaram Passes Away: देश के परमाणु वैज्ञानिक राजगोपाल चिदंबर का शनिवार को निधन हो गया. उन्होंने 88 वर्ष की आयु में मुंबई के जसलोक अस्पताल में अंतिम सांस ली. परमाणु ऊर्जा विभाग (डीएई) ने उनके निधन की जानकारी दी. राजगोपाल चिदंबर ने साल 1974 और 1998 में भारत के परमाणु परीक्षणों में अहम भूमिका निभाई थी.
उनके निधन की जानकारी देते हुए परमाणु ऊर्जा विभाग ने कहा कि, 'हम अत्यंत दुख के साथ सूचित करते हैं कि प्रख्यात भौतिक विज्ञानी और भारत के सबसे प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों में से एक डॉ. राजगोपाल चिदंबरम का शुक्रवार देर रात (4 जनवरी 2025) 3.20 बजे निधन हो गया. भारत की वैज्ञानिक और रणनीतिक क्षमताओं में डॉ. चिदंबरम के अद्वितीय योगदान और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में उनके दूरदर्शी नेतृत्व को हमेशा याद किया जाएगा.'
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देश के परमाणु वैज्ञानिक राजगोपाल चिदंबर के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी शोक जताया. पीएम मोदी ने एक्स पर लिखा, 'डॉ. राजगोपाला चिदम्बरम के निधन से गहरा दुख हुआ. वह भारत के परमाणु कार्यक्रम के प्रमुख वास्तुकारों में से एक थे और उन्होंने भारत की वैज्ञानिक और रणनीतिक क्षमताओं को मजबूत करने में अभूतपूर्व योगदान दिया. पूरा देश उन्हें कृतज्ञतापूर्वक याद करेगा और उनके प्रयास आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करेंगे.'
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Deeply saddened by the demise of Dr. Rajagopala Chidambaram. He was one of the key architects of India’s nuclear programme and made ground-breaking contributions in strengthening India’s scientific and strategic capabilities. He will be remembered with gratitude by the whole…
— Narendra Modi (@narendramodi) January 4, 2025
बता दें कि न्यूक्लियर साइंटिस्ट राजगोपाल चिदंबरम का जन्म 1936 में हुआ था. उन्होंने चेन्नई के प्रेसीडेंसी कॉलेज और बेंगलुरु के भारतीय विज्ञान संस्थान के पढ़ाई की. वह कई अहम पदों पर कार्यरत रहे. उन्होंने 2001 से 2018 तक भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार, 1990 से 1993 तक भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र के निदेशक, 1993 से 2000 तक परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष और भारत सरकार के सचिव, डीएई की जिम्मेदारी संभाली. वह 1994 से 1995 तक अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के अध्यक्ष भी रहे. इसके साथ ही न्यूक्लियर साइंटिस्ट राजगोपाल चिदंबरम ने भारत की परमाणु क्षमताओं को आकार देने में भी अहम भूमिका निभाई.
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