भारतीय सेना की प्रेस कॉन्फ्रेंस में एअर मार्शल ए.के. भारती ने साफ किया कि हाल ही में हुए “ऑपरेशन सिंदूर” के तहत पाकिस्तान के किराना हिल्स जैसे किसी भी न्यूक्लियर लोकेशन को टारगेट नहीं किया गया. उन्होंने पत्रकारों से मज़ाकिया लहजे में कहा, “धन्यवाद, आपने हमें बताया कि किराना हिल्स में न्यूक्लियर इंस्टॉलेशन है, हमें तो पता ही नहीं था.” इस बीच सोशल मीडिया पर यह ट्रेंड होने लगा कि भारत ने किराना हिल्स पर हमला किया है, जिसके कारण परमाणु रेडियशन हुआ है.
अफवाहों की शुरुआत कैसे हुई?
जब भारत ने सर्जिकल एयर स्ट्राइक्स में पाकिस्तान के कई एयरबेस को निशाना बनाया, जैसे कि सरगोधा और नूर खान तो कुछ ओपन-सोर्स इंटेलिजेंस (OSINT) अकाउंट्स ने दावा किया कि इन हमलों से रेडिएशन लीक हुआ है. सरगोधा एयरबेस, किरणा हिल्स से महज़ 20 किलोमीटर की दूरी पर है, जबकि नूर खान एयरबेस, पाकिस्तान की न्यूक्लियर कमांड का अहम हिस्सा माना जाता है. कुछ यूज़र्स ने तो यहां तक कहा कि सिविलियन्स में रेडिएशन के लक्षण दिखे और इमरजेंसी इवैक्यूएशन तक हुआ है.
अमेरिकी विमान की एंट्री से हलचल तेज़
फ्लाइट ट्रैकर्स ने कथित तौर पर एक अमेरिकी बीचक्राफ्ट B350 AMS (Aerial Measuring System) विमान को पाकिस्तान की हवाई सीमा में देखा गया. ये वही विमान है जो पहले फुकुशिमा जैसे रेडिएशन हादसों में इस्तेमाल हो चुका है. B350 AMS न्यूक्लियर लीक डिटेक्ट करने में माहिर है, जिसमें गामा-रे सेंसर और रीयल टाइम मैपिंग की सुविधा होती है. सवाल यह उठा कि क्या अमेरिका ने इसे पाकिस्तान की मदद के लिए भेजा, या फिर यह पाकिस्तान के पास पहले से मौजूद था? कुछ रिपोर्टों के अनुसार यह विमान 2010 में पाकिस्तान को ट्रांसफर कर दिया गया था. अगर ऐसा है, तो क्या पाकिस्तान ने इसे संभावित न्यूक्लियर लीक चेक करने के लिए एक्टिवेट किया?
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
पूर्व CIA अधिकारी और RAND कॉर्पोरेशन के विश्लेषक डेरिक ग्रॉसमैन ने दावा किया कि नूर खान एयरबेस पर भारत की स्ट्राइक ने “पाकिस्तान की न्यूक्लियर कमांड को खतरे में डाला” और “रेडियोएक्टिव लीक” का कारण बना. हालांकि भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि हमने ऐसा कोई अटैक नहीं किया है, जिसे ऐसा खतरा बने. CNN ने रिपोर्ट किया कि अमेरिका के वाइस प्रेसिडेंट J.D. Vance ने कथित रूप से भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से “चिंताजनक इंटेलिजेंस” मिलने पर बात की. लेकिन अभी तक इस बातचीत की पुष्टि भी नहीं हुई है.
मिस्र का अप्रत्याशित रोल?
एक मिस्रियन सैन्य ट्रांसपोर्ट विमान को भारतीय हमलों के बाद मुर्री में देखा गया. कुछ पोस्ट्स ने दावा किया कि यह विमान 'बोरोन' लेकर आया था, जो रेडिएशन को कंट्रोल करने में इस्तेमाल होता है. लेकिन ये खबरें भी सोशल मीडिया पर तैर रही हैं.
भारत का “स्ट्रैटेजिक मैसेजिंग”
भारत ने स्पष्ट किया है कि उसने पाकिस्तान की सैन्य और रडार इंस्टॉलेशन जैसे ठिकानों को निशाना बनाया. कराची, लाहौर, सियालकोट, रावलपिंडी और सरगोधा समेत. एअर मार्शल भारती के अनुसार, ये हमले सिर्फ नुकसान पहुंचाने के लिए नहीं थे, बल्कि यह “स्ट्रैटेजिक मैसेजिंग” था. सेटेलाइट इमेज से ये संकेत मिला है कि सरगोधा का मुशाफ एयरबेस जो कि किराना हिल्स के पास है, उसे नुकसान पहुंचा है. मगर भारतीय अधिकारियों का कहना है कि किराना हिल्स को छुआ तक नहीं गया.
किराना हिल्स का असली महत्व
किराना हिल्स पाकिस्तान की सबसे सुरक्षित मिलिट्री साइट्स में गिना जाता है. यहां 10 से ज्यादा अंडरग्राउंड न्यूक्लियर टनल्स होने की बात कही जाती है. यह लोकेशन पाकिस्तान की “सेकंड स्ट्राइक कैपेबिलिटी” यानी दुश्मन के पहले हमले के बाद जवाब देने की ताकत, का अहम हिस्सा है. यह इलाका खुषाब न्यूक्लियर कॉम्प्लेक्स से सिर्फ 75 किलोमीटर दूर है, जो हथियार बनाने के लिए जरूरी प्लूटोनियम तैयार करता है.
कई हैं सवाल?
फिलहाल भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्षविराम की स्थिति है, लेकिन सवाल अभी भी कायम हैं. क्या वाकई में रेडिएशन लीक हुआ? क्या B350 AMS विमान किसी इमरजेंसी मिशन का हिस्सा है? क्या पाकिस्तान को किसी इंटरनेशनल मदद की जरूरत पड़ी?
जब तक पाकिस्तान खुलकर जवाब नहीं देता, तब तक सच्चाई धुंधली ही रहेगी. मगर इतना तय है कि दक्षिण एशिया की इस न्यूक्लियर पॉलिटिक्स पर अब पूरी दुनिया की नजरें हैं.