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अरावली हिल्स Photograph: (X/ani)
केंद्र सरकार ने अरावली हिल्स में नई खनन लीज के आवंटन पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया है. यह निर्देश हाल ही में अरावली पहाड़ियों की परिभाषा को लेकर उठे विवाद और सुप्रीम कोर्ट द्वारा नई खनन लीज पर रोक लगाए जाने के कुछ दिनों बाद जारी किया गया है. केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEF&CC) ने सभी संबंधित राज्यों को इस संबंध में स्पष्ट निर्देश भेजे हैं.
पूरे अरावली क्षेत्र में समान रूप से लागू आदेश
MoEF&CC ने अपने बयान में कहा कि यह प्रतिबंध दिल्ली से गुजरात तक फैली पूरी अरावली पर्वतमाला पर समान रूप से लागू होगा. इसका उद्देश्य अरावली की भौगोलिक अखंडता को बनाए रखना और अवैध व अनियंत्रित खनन गतिविधियों पर रोक लगाना है. मंत्रालय ने इसे संरक्षण की दिशा में एक बड़ा और निर्णायक कदम बताया.
ICFRE को अतिरिक्त क्षेत्रों की पहचान का निर्देश
केंद्र सरकार ने भारतीय वन अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद (ICFRE) को यह जिम्मेदारी सौंपी है कि वह पूरे अरावली क्षेत्र में ऐसे अतिरिक्त इलाकों और जोन की पहचान करे, जहां खनन पूरी तरह प्रतिबंधित किया जाना चाहिए. यह पहचान पारिस्थितिक, भूवैज्ञानिक और लैंडस्केप स्तर के वैज्ञानिक मानकों के आधार पर की जाएगी, जो पहले से प्रतिबंधित क्षेत्रों के अतिरिक्त होंगे.
मौजूदा खदानों पर सख्त निगरानी
जो खदानें पहले से संचालित हैं, उनके लिए केंद्र ने स्पष्ट किया है कि राज्य सरकारों को सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के अनुरूप सभी पर्यावरणीय सुरक्षा मानकों का सख्ती से पालन सुनिश्चित करना होगा. इसमें खनन गतिविधियों का कड़ा नियमन और सतत खनन सिद्धांतों का अनुपालन शामिल है.
यह निर्देश सुप्रीम कोर्ट के 20 नवंबर के फैसले से जुड़ा है, जो टीएन गोदावर्मन थिरुमुलपद बनाम भारत संघ मामले में दिया गया था. कोर्ट ने MoEF&CC की अगुवाई वाली समिति द्वारा प्रस्तावित अरावली की एक समान वैज्ञानिक परिभाषा को स्वीकार किया था. साथ ही यह स्पष्ट निर्देश दिया था कि जब तक सतत खनन के लिए व्यापक प्रबंधन योजना तैयार नहीं हो जाती, तब तक कोई नई खनन लीज न दी जाए.
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