एक महत्वपूर्ण फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने निठारी हत्याकांड के आरोपी मोनिंदर सिंह पंढेर और उनके घरेलू सहायक सुरेंद्र कोली को बरी करने के इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है.उच्चतम न्यायालय ने सीबीआई, उत्तर प्रदेश सरकार और पीड़ित परिवारों द्वारा दायर अपीलों को खारिज कर दिया है, जिससे लगभग दो दशकों से देश को झकझोर देने वाले इस मामले में एक नाटकीय मोड़ आ गया है.
फैसले के मुख्य बिंदु:
* बरी करना बरकरार : सीजेआई बीआर गवई के नेतृत्व में सुप्रीम कोर्ट की तीन-सदस्यीय पीठ ने कोली और पंढेर को सभी मामलों में इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा बरी किए जाने के फैसले की पुष्टि की.
* सबूतों की जांच : सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि केवल उन्हीं स्थानों से प्राप्त सबूतों को स्वीकार किया जा सकता है, जहां केवल अभियुक्तों की पहुंच थी. कोर्ट ने यह भी कहा कि पीड़ितों के अवशेषों को खुले नाले से बरामद करना कोली के बयान पर आधारित नहीं था, और अभियुक्त का बयान दर्ज किए बिना की गई बरामदगी अस्वीकार्य है.
* त्रुटिपूर्ण जांच : इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 2023 के अपने फैसले में कहा था कि अभियोजन पक्ष "उचित संदेह से परे" अपराध साबित करने में विफल रहा और जांच को "त्रुटिपूर्ण" बताया था.
निठारी दुःस्वप्न: एक नज़र पीछे
निठारी हत्याकांड 2006 में तब सामने आया जब नोएडा के निठारी में एक घर के बाहर नाले में मानव अवशेष मिले. यह मामला अपनी क्रूरता के कारण पूरे भारत में सदमे की लहर दौड़ा गया था, जिसमें कई बच्चों और युवतियों की कथित हत्याएं, बलात्कार और यहां तक कि नरभक्षण व उपेक्षा के दावे भी शामिल थे. शुरुआत में सुरेंद्र कोली और उसके मालिक मोनिंदर सिंह पंढेर को दोषी ठहराया गया था. अब इस फैसले ने अपने पीछे सबसे बड़ा सवाल छोड़ दिया है की निठारी का दोषी कौन?