/newsnation/media/post_attachments/thumbnails/202507053444324.jpg)
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) से जुड़े अंतरराष्ट्रीय नार्को-आतंकवादी नेटवर्क के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए आठ और आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया है. यह मामला पाकिस्तान से समुद्री मार्ग के जरिए भारत में हेरोइन की तस्करी और उससे प्राप्त धन से आतंकवादी गतिविधियों के वित्तपोषण से संबंधित है. एनआईए ने यह आठवां पूरक आरोपपत्र (आरसी-26/2020/एनआईए/डीएलआई) अहमदाबाद स्थित विशेष एनआईए अदालत में दाखिल किया है. यह आरोपपत्र एनडीपीएस अधिनियम और यूए (पी) अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत दायर किया गया है.
अंतरराष्ट्रीय साजिश का पर्दाफाश
जांच एजेंसी ने पाया कि इटली स्थित सिमरनजीत सिंह संधू,ऑस्ट्रेलिया स्थित तनवीर सिंह बेदी और भारत के अंकुश कपूर इस पूरे नार्को-आतंकवादी नेटवर्क के प्रमुख साजिशकर्ता थे. इन तीनों ने मिलकर पाकिस्तान से गुजरात के रास्ते भारत में हेरोइन की बड़ी खेप भेजने की योजना बनाई थी. इस साजिश के तहत पाकिस्तान से समुद्री मार्ग के जरिए 500 किलोग्राम हेरोइन की तस्करी की गई थी, जिसे गुजरात के सलाया तट पर उतारा गया और फिर पंजाब तक पहुँचाया गया. नशीले पदार्थों की बिक्री से प्राप्त रकम लश्कर-ए-तैयबा की आतंकी गतिविधियों के वित्तपोषण में इस्तेमाल की गई.
आरोपियों की भूमिकाएं और नेटवर्क की परतें
आरोपपत्र में नामित अन्य अभियुक्तों में पाकिस्तानी नागरिक तारिक उर्फ भाईजान, गगनदीप सिंह अरोड़ा, तमन्ना गुप्ता, सुखबीर सिंह उर्फ हैप्पी, और अनवर मसीह शामिल हैं. एनआईए की जांच के अनुसार, अंकुश कपूर भारत में इस सिंडिकेट की गतिविधियों का प्रमुख संचालक था. वह पंजाब में तस्करी, भंडारण और वितरण के समन्वय के साथ हवाला के जरिए धन हस्तांतरण में भी सक्रिय था.
सिमरनजीत सिंह को नेटवर्क का मास्टरमाइंड माना गया है, जो विदेशों से मादक पदार्थों के परिवहन और आतंकी वित्तपोषण की देखरेख करता था. तारिक उर्फ भाईजान पाकिस्तान से समुद्री मार्ग के जरिए खेप भेजने, परिवहन की निगरानी और पंजाब में वितरण नेटवर्क से जुड़ने में अहम भूमिका निभाता था. तनवीर बेदी, जो ऑस्ट्रेलिया में रहता है, अंतरराष्ट्रीय हवाला चैनलों के माध्यम से धन हस्तांतरण और आतंकी फंडिंग में सक्रिय था. गगनदीप अरोड़ा, एक हवाला ऑपरेटर, वर्तमान में फरार है और उस पर बड़े पैमाने पर धन शोधन के आरोप हैं. तमन्ना गुप्ता, सुखबीर सिंह, और अनवर मसीह पर भी इस साजिश में जानबूझकर सहयोग करने के आरोप हैं.
बहु-देशीय साजिश
एनआईए की जांच से खुलासा हुआ है कि यह मादक पदार्थ-आतंकवाद नेटवर्क न केवल गुजरात, दिल्ली, पंजाब और चंडीगढ़ में सक्रिय था, बल्कि इसकी जड़ें इटली, ऑस्ट्रेलिया, यूएई, पाकिस्तान, ईरान और थाईलैंड तक फैली हुई थीं. यह एक संगठित अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क था, जो मादक पदार्थों की तस्करी से प्राप्त धन को आतंकवादी गतिविधियों में लगाने के लिए कार्य कर रहा था.
26 गिरफ्तार, 8 अभी भी फरार
इस मामले में अब तक 26 आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है, जबकि 8 आरोपी अभी भी फरार हैं. शुरुआती जांच गुजरात एटीएस ने की थी, जिसके बाद एनआईए ने अब तक कुल आठ पूरक आरोपपत्र दायर किए हैं. एनआईए ने कहा है कि एजेंसी नार्को-टेरर नेटवर्क को जड़ से खत्म करने और फरार आरोपियों को पकड़ने के लिए जांच जारी रखे हुए है.
एजेंसी का मिशन
एनआईए ने दोहराया कि भारत में मादक पदार्थों की तस्करी और आतंकवाद के गठजोड़ को समाप्त करना उसकी सर्वोच्च प्राथमिकताओं में शामिल है. इस मामले की सफलता ने एक बार फिर यह स्पष्ट किया है कि देश की सुरक्षा एजेंसियां आतंकवाद को वित्तीय स्रोतों से काटने के लिए निरंतर और ठोस कार्रवाई कर रही हैं.