कर्नाटक में हिंदुत्व संगठनों ने 2 अप्रैल को उगादी त्योहार (नए साल के दिन) से पहले हलाल मीट पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है। कर्नाटक में झटका और हलाल मीट पर छिड़े नए विवाद के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी माने जाने वाले जफर सरेशवाला ने कहा कि, इस्लाम में हलाल मांस खाना हैं या नहीं इसपर जिक्र है, न कि काटने के तरीके पर, देश की बड़ी बड़ी कंपनियां हलाल मीट का सर्टिफिकेट देती हैं। तो क्या यह कंपनियां आर्थिक जिहाद कर रहीं हैं ?
दरअसल नए साल का जश्न मनाने के लिए राज्य में खासकर दक्षिण हिस्सों में लोग मांसाहारी भोजन पकाकर खाते हैं, जफर सरेशवाला ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा कि, जानवरों को हलाल करने का तरीका कोई इस्लाम की इजात की हुई चीज नहीं है। पहले ईसाई और उससे पहले यहूदी भी इसी तरह जानवरों को काटा करते थे, आज पूरी दुनिया ने यह माना है कि यही साइंटिफिक तरीका है।
पंद्रह दिनों के भीतर कर्नाटक में एक के बाद एक मुद्दा, सोशल मीडिया और अखबारों की सुर्खियों में बन रहा है। कर्नाटक में हलाल मीट से पहले हिजाब विवाद भी काफी चर्चा का विषय रहा।
कर्नाटक हिजाब मामले पर सरेशवाला ने कहा कि, हिजाब मामले में मुस्लिम समाज की बड़ी गलती रही कि हमने इसे मुद्दा बनने दिया। स्कूल में जो भी हुआ उसमें कुल 950 युवतियां थंीं इनमें से 105 मुस्लिम लड़कियां थीं। वह प्रदर्शन करने लगी उसकी जरूरत नहीं थी। लड़कियों की जगह उनके माता पिता को जाकर स्कूल प्रशासन से बात करनी चाहिए थी।
उन युवतियों के जज्बे पर कई लोगों ने अपनी सियासत की, वहीं यह मसला कोर्ट में नहीं जाना चाहिए था। कुछ मुद्दों को मुद्दा नहीं बनने देना चाहिए था।
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Source : IANS