विदेशी भाषा सीखने से आपका सपना होगा पूरा, बेहतर रोजगार के मिलेंगे अवसर
मल्टीनेशनल कंपनियां पिछले कुछ समय से तेजी से भारत का रुख कर रही हैं, जिससे देश में ही रोजगार के अवसर मिल रहे हैं. विदेशी कंपनियों के देश में आने से अनुवादकों की तेजी मांग बढ़ रही है, जिससे युवा विदेशी भाषा सीखकर अपना बेहतर करियर बना सकते हैं.
नई दिल्ली:
मल्टीनेशनल कंपनियां पिछले कुछ समय से तेजी से भारत का रुख कर रही हैं, जिससे देश में ही रोजगार के अवसर मिल रहे हैं. विदेशी कंपनियों के देश में आने से अनुवादकों की तेजी मांग बढ़ रही है, जिससे युवा विदेशी भाषा सीखकर अपना बेहतर करियर बना सकते हैं. इंटरप्रेटर और अनुवादक के रूप में काम करने वाले विदेशी भाषाओं के जानकरों की तलाश तेजी से हो रही है. इस क्षेत्र में काम करने वाले युवाओं को अच्छे पैकेज भी मिलते हैं.
देश में नेशनल और इंटरनेशनल कंपनियां जैसे आईटी कंपनियां, पांच सितारा होटल और ट्रैवल्स कंपनियां अनुवादकों की खोज में हैं. विदेशी भाषा सिखाने का ट्रेंड सिर्फ इस क्षेत्र में करियर बनाने वाले छात्रों में ही नहीं है, बल्कि BBA और MBA की पढ़ाने करने वाले संस्थानों में इसका ट्रेंड है. इनमें प्रमुख रूप से जर्मन, रशियन, जैपनीज, फ्रेंच, स्पैनिशन, इटैलियन और कोरियन जैसी भाषाएं शामिल हैं. इन भाषाओं के शिक्षकों की भी मांग बढ़ रही है, जो छात्रों को सीखा सके.
आपको बता दें कि देश में कोरोना महामारी रफ्तार धीमी होने के बाद अब पर्यटन उद्योग ने भी तेजी पकड़ना शुरू कर दिया है. इस क्षेत्र में हर वर्ष कई लाख विदेशी सैलानियों के लिए टूरिस्ट गाइड या टूर ऑपरेटर की जरूरत पड़ रही है. विदेशी सैलानियों को गाइड करने के लिए टूरिस्ट गाइड को विदेशी भाषा आना जरूरी है. अगर मेडिकल टूरिज्म की बात करें तो हर साल खाड़ी देशों के लोग भी यहां प्राइवेट अस्पतालों में उपचार कराने आते हैं, इन लोगों की भाषा को समझने के लिए अनुवादकों की जरूरत पड़ती है.
मोदी सरकार की मेन इन इंडिया ने इसे और बढ़ावा दिया है. भारत में अपना मेन आफिस खोलने वाली ऐसी बहुत सारी विदेशी कंपनियां हैं, जो अंग्रेजी के मुकाबले अपनी भाषा में ही काम करने को पहली प्राथमिकता देते हैं, जिससे उन्हें भारतीय समकक्षों से कम्युनिकेशन करने में कोई भाषाई परेशानी का सामना न करना पड़े.
अब बड़ा सवाल उठता है कि आप विदेशी भाषा कैसे सीख सकते हैं. विदेशी भाषाओं को सीखने के लिए कोई शैक्षणिक योग्यता की जरूरत नहीं है. स्कूल की शिक्षा के दौरान आप एक विषय के रूप में देशी या विदेशी भाषा पढ़ सकते हैं. विदेशी भाषाओं को आप नौकरी करते-करते भी सीख सकते हैं. कई यूनिवर्सिटी से आप पार्ट टाइम या फुल टाइम कोर्स भी कर सकते हैं. इसे लेकर लैंग्मा स्कूल ऑफ लैंग्वेजेज के डायरेक्टर संजीव रावत ने कहा कि विदेशी भाषाओं को सीखने के बाद युवाओं को बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन, दूतावासों, टूरिज्म, हेल्थकेयर, शिक्षा और देश के कई संस्थानों में आसानी से रोजगार मिल सकते हैं. साथ ही आप होटल, पर्यटन और इंटरनेशनल मीडिया हाउस में न्यूज ट्रांसलेटर का भी काम कर सकते हैं.
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