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रोटी के बजाए पराठा खाने पर देना पड़ सकता है ज्यादा टैक्स, जानिए क्या है पूरा मामला

बेंगलुरु की कंपनी आईडी फ्रेश फूड्स (iD Fresh Food) ने एएआर की कर्नाटक पीठ के समक्ष आवेदन कर पूछा था कि क्या पूर्ण गेहूं का परांठा और मालाबार परांठा अध्याय 1905 वर्गीकरण के तहत आता है और इसपर 5 प्रतिशत जीएसटी लगेगा.

बेंगलुरु की कंपनी आईडी फ्रेश फूड्स (iD Fresh Food) ने एएआर की कर्नाटक पीठ के समक्ष आवेदन कर पूछा था कि क्या पूर्ण गेहूं का परांठा और मालाबार परांठा अध्याय 1905 वर्गीकरण के तहत आता है और इसपर 5 प्रतिशत जीएसटी लगेगा.

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Dhirendra Kumar
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Paratha

परांठा (Paratha)( Photo Credit : फाइल फोटो)

उपभोग के लिए तैयार पराठा (Paratha), रोटी नहीं है. खाने से पहले इसे और प्रसंस्कृत करने की जरूरत होती है, ऐसे में इसपर 18 प्रतिशत की दर से माल एवं सेवा कर (GST) लगेगा. अग्रिम निर्णय प्राधिकरण (Authority For Advance Rulings-AAR) ने यह व्यवस्था दी है. बेंगलुरु की कंपनी आईडी फ्रेश फूड्स (iD Fresh Food) ने एएआर की कर्नाटक पीठ के समक्ष आवेदन कर पूछा था कि क्या पूर्ण गेहूं का परांठा और मालाबार परांठा अध्याय 1905 वर्गीकरण के तहत आता है और इसपर 5 प्रतिशत जीएसटी लगेगा.

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सीमा शुल्क के शुल्क कानून या जीएसटी शुल्क में परांठे को लेकर कोई विशिष्ट प्रविष्टि नहीं
आवेदन करने वाली आईडी फ्रेश फूड्स खाद्य उत्पाद कंपनी है. यह रेडी-टु-कुक उत्पाद मसलन इडली, डोसा, परांठा और चपाती बेचती है. एएआर ने अपने निष्कर्ष में कहा है कि सीमा शुल्क के शुल्क कानून या जीएसटी शुल्क में परांठे को लेकर कोई विशिष्ट प्रविष्टि नहीं है. एएआर ने कहा कि 5 प्रतिशत की जीएसटी दर उन उत्पादों पर लागू होगी जो 1905 या 2016 के शीर्षक के तहत आते हैं. ऐसे उत्पाद खाखरा, सादी चपाती और रोटी हैं. परांठा 2016 शीर्षक के तहत आता है, यह न तो खाखरा है, न ही सादी चपाती या रोटी. एएआर ने कहा कि खाखरा, सादी चपाती और रोटी पूरी तरह तैयार सामग्री है. इन्हें उपभोग के लिए और तैयार करने की जरूरत नहीं होती.

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वहीं परांठा या मालाबार परांठा इन उत्पादों से अलग है, इसके अलावा ये आम उपभोग के और आवश्यक प्रकृति के उत्पाद भी नहीं है. मानव उपभोग के लिए इनका और प्रसंस्करण करने या तैयार करने की जरूरत होती है. एएमआरजी एंड एसोसिएट्स के वरिष्ठ भागीदार राजन मोहन ने कहा कि इन उत्पादों में कर का अंतर 13 प्रतिशत का है जिसकी वजह से रोटी और परांठे के वर्गीकरण को लेकर विवाद पैदा हुआ है. जमीनी वास्तविकता यह है कि आम भारतीय भाषा में इन शब्दों का इस्तेमाल किया जाता है.

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